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Century Chemical का वो “गायब” कामगार का सच

राजेश सिन्हा

लगभग 15 दिन पहले अचानक ही कंपनी से गायब कामगार का १५ दिन बीत जाने के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला है। इस मामले मे गायब कामगार पक्ष के लोग जहा तरह तरह कि आशंका व्यक्त कर रहे है वही कंपनी मे काम करने वाले अनेक लोग इस मामले को अलग हि एंगल दे रहे है। लेकिन सच्चाई पुलिस जांच मे पता चल सकती है या कामगार के बारे मे कोई जानकारी मिलने पर ही पता चल सकती है ।

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ज्ञात हो कि लगभग १५ दिन पहले दूसरी शिफ्ट यानि ३-११ वाली ड्यूटी पर काम करने आया कामगार पंकज मिश्र शाम ७ बजे से लापता हो गया और ड्यूटी छूटने के बाद जब वो नहीं मिला,  तो उसकी खोजबीन शुरू हुई। CCTV फुटेज मे वो शाम ७ बजे तक दिखा है। शुरुवात मे कुछ कामगारो के साथ अन्य लोग भी यह आशंका व्यक्त करने लगे कि कही कामगार पंकज कंपनी किसी रसायन वाली टंकी मे गिर तो नही गया।

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क्योंकि उस कंपनी मे बेहद खतरनाक माने जाने वाला रसायन कास्टिक 30 % का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।  बिल्कुल तेजाब कि प्रजाति वाले इस रसायन से कोई अनहोनी कामगार पंकज मिश्र के साथ तो नहीं हो गई ये आशंका स्थानीय लोग ने शुरू मे व्यक्त करनी शुरू कर दी। 

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लगभग 10 हजार कामगारों वाली इस कंपनी मे विशुद्ध रूप से कास्टिक का लगभग 5 लाख टन प्रतिमाह उत्पादन है। यह कास्टिक कितना घातक है इसका अंदाजा इसी कंपनी मे पिछले दिनों कामगार अनिल झा कि मौत से लगाया जा सकता है। कंपनी सूत्रों के अनुसार ड्यूटी पर शराब पीकर आए कामगार अनिल को जब सुरक्षा कर्मियों ने मेमो देने कि कोशिश की ।

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तो वह पिसाब करने के बहाने वापस अपने डिपार्टमेंट मे गया और फिर वापस नहीं आया , खोजबीन करने पर उसी के खाते कि विसकोस कि टंकी के पास उसका चप्पल मिला। और टंकी मे जांच के दौरान उसकी लाश बेहद दयनीय अवस्था मे मिली। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब अनिल झा की लाश को टंकी से निकाला गया तो उसकी हालत चूसे हुए आम के जैसी हो गई थी।

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ऐसे मे कुछ इसी तरह कि दुर्घटना कामगार पंकज के साथ तो नहीं हुई, ऐसी चर्चा शुरुवात से ही कंपनी के कामगारों मे जोरशोर से व्यक्त कि जाने लगी । लेकिन स्थानीय पुलिस द्वारा इस मामले कि हर एंगल से जांच के बावजूद कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। कही भी कपनी के अंदर उक्त कामगार के साथ कोई दुर्घटना होने के कोई सबूत नहीं मिले है।

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और बितते समय के साथ पुलिस के पास गायब कामगार पंकज मिश्रा के बारे मे अलग अलग अनेक संदेहास्पद जानकारी सामने आने लगी है। इस पर बात करने के पहले एक बार कंपनी, इसके इस उत्पादन और सुरक्षा के इंतजाम पर बात कर लेते है । लगभग १० हजार कामगारों वाली कंपनी मे तीन शिफ्ट मे काम चलता है। और कामगारों को कंपनी के तरफ से निवास व्यवस्था देने वाली निजी समूह कि शायद ठाणे जिले कि एकमात्र कंपनी रह गई है।

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कंपनी मे कास्टिक का उत्पादन होता है जो कि कपड़ा प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियों मे काम मे आता है। और इस कंपनी से महाराष्ट्र भर के कपड़ा प्रोसेसिंग कंपनियों मे कास्टिक कि सप्लाइ की जाती है। कंपनी की अपनी ही सेंचुरी रेयान कंपनी मे कपड़ा प्रोसेसिंग के लिए बड़े पैमाने पर कासस्टिक कि जरूरत पड़ती है। जिसकी सप्लाइ भी यही से की जाती है।

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सेंचुरी केमिकल कंपनी मे कामगारों की सुरक्षा की बात की जाए तो कंपनी मे हर तरफ सुरक्षा के अत्याधुनिक इंतजाम किये गए है ।  यहा लाखों टन कास्टिक टंकी मे जमा करने कि व्यवस्था है। लेकिन इन टंकी से कास्टिक डालने और निकालने कि व्यवस्था मोटर से है । कोई भी अकेले आदमी टंकी के मुह के पास पहुच भी गया तो टंकी खोलने के लिए विधिवत विभागिए आदेश की आवश्यकता है। और शील तोड़ने के साथ आठ दस नट बोल्ट खोलने के बाद ही टंकी के अंदर कोई जा सकता है।

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अब आते है कामगार पंकज मिश्रा वाले मामले पर, शुरुवात मे इस मामले मे भले ही अनेक तरह के अटकले लगाए गए लेकिन धीरे धीरे कंपनी के हि पंकज के अनेक सहयोगी कामगार अनेक तरह कि बाते करने लगे है। अनेक कामगारों के अनुसार पंकज पर २० लाख से अधिक का कर्ज था। पंकज ने इन्ही सब कारणों से लकडाउन के दौरान ऐसी ही नौटंकी की थी। उस दौरान भी वो ३ – ४ महीने के लिए गायब हुआ था। ओर अपने गाव मे मिला था। जब उससे पूछताछ की तो उस दौरान उसने अपने पिता के आपरेशन का बहाना बनाया था।

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कंपनी मे कामगार पंकज बाहर से आने वाले टैंकर से माल भरने या खाली करवाने का काम करवाता था और उसकी उन टैंकर चालकों से गहरी दोस्ती होनी स्वभाविक ही है। पंकज ड्यूटी पर आया, उसके लॉकर मे सब सामान है, गाड़ी भी कंपनी मे ही है, और शाम ७ बजे से कंपनी के किसी CCTV फुटेज मे नहीं दिख रहा है । लेकिन इसके बाद पंकज कंपनी से निकलने वाले टैंकर मे छुप कर नही भागा होगा इस सच्चाई को भी पंकज के ही अनेक कामगार मित्र नाकार नहीं रहे है।   

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