राज्य में महायुती नेताओं की सुस्ती, आगामी विधानसभा चुनाव में आत्मघाती
राज्य में विधानसभा के 5 वर्ष पूर्ण होने का समय 2 महीने बाद ही है। ऐसे में राज्य में विधानसभा चुनाव होना आवश्यक है। किन कारणों से राज्य चुनाव आयोग महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं कर रहा है इस पर टीका टिप्पणी गलत है
लेकिन विपक्ष केंद्र और राज्य में सत्ताधारी भाजपा और सहयोगी दलों पर चुनाव तारीखों की घोषणा में देरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है।
देर सबेर चुनाव की तारीखों की घोषणा होनी है और होगी। लेकिन विपक्षी दल जिन दावों के साथ सत्ता पक्ष को राज्य चुनाव की तारीखों की घोषणा में देरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। उसमे एक कारण यह भी है कि अगर आज चुनाव हो जाए तो चुनाव मैदान में सत्ता पक्ष को करारी मात खानी पड़ सकती है।
विपक्षी दल यह सरेआम दावा कर रहे हैं कि अगर आज या फिर 2 महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हो तो राज्य में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)की सरकार बन सकती है।
राज्य भर के महायुति के नेतागण विपक्ष के इन दावों का कोई प्रतिउत्तर नहीं दे रहे है। सत्तापक्ष के नेता या तो शांत है या फिर निश्चिंत है।
और यही कारण है आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल जहां एकबार फिर आक्रमकता से और फेक नेरेटिव के साथ चुनाव लड़ेगा।
वही सत्तापक्ष अपनी निश्चिंतता के कारण सत्ता से दूर हो सकते है।
ज्ञात हो कि लोक सभा चुनाव के पहले से ही विपक्ष केंद्र से लेकर राज्य सरकार पर सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर आक्रामक है और लगातार झूठ नेगेटिव भी अपने प्रचार प्रसार में उपयोग करने में नहीं हिचक रहे हैं।
विपक्ष के सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्यकर्ता लगातार वे या तो विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप हो या फेसबुक, एक्स (ट्वीटर) हो। हर जगह सिलसिलेवार ढंग से सरकार के विरोध में पोस्ट डालते रहे है। जिसमे अनको फेक नेरेटिव पोस्ट भी रहता है।
उन्ही सोशल मीडिया ग्रुप पर सत्ताधारी दल के नेता और कार्यकर्ता भी रहते है। और ये लोग संकोच या फिर अज्ञात कारणों से अपने दल के विरोध में चल रहे फेक नेरेटिव प्रचार पर मुकदर्शक बने रहते है। सच्चाई रखने से कतराते है।
इन परिस्थितियों में जो आम लोग है इन समूहों में, उनका मत परिवर्तन स्वाभाविक है। और इसके दुष्परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकते है।