कल्याण पश्चिम विधानसभा: सचिन बासरे , विश्वनाथ भोईर और वरूण पाटिल में त्रिकोणीय टक्कर
कर्ण हिंदुस्तानी
कल्याण- कल्याण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रत्याशी सचिन बासरे और शिन्दे सेना के मौजूदा विधायक विश्वनाथ भोईर व अपक्ष वरूण पाटिल में अभी तक त्रिकोणीय टक्कर के संकेत दिख रहे हैं हलाँकि कल्याण पश्चिम का अब तक का इतिहास रहा है कि कोई भी विधायक दुबारा चुनकर नहीं आया है। कल्याण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के गठन के बाद सबसे पहले यहाँ से मनसे के प्रकाश भोईर विधायक बने, उसके बाद भाजपा के नरेंद्र पवार चुनकर आये।
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तिसरी बार भाजपा और अविभाजित शिवसेना के विश्वनाथ भोईर विधायक बने। तीनों बार यहाँ समीकरण बदले हैं। इस बार भाजपा ने विभाजित हुई शिवसेना के शिन्दे गुट को समर्थन दिया है और मौजूदा विधायक विश्वनाथ भोईर फिर मैदान में हैं।साथ ही उद्धव ठाकरे की शिवसेना के निर्व्यसनी और शहर के बारे में अच्छी जानकारी रखने व शहर प्रमुख सचिन बासरे को मैदान में उतारा है। नगरसेवक रह चुके सचिन बासरे ने ऐतिहासिक काला तलाव का कायापलट कर कल्याण में दर्शनीय स्थल तैयार करवाया है।
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कल्याण पश्चिम के इतिहास को जुबानी याद रखने वाले व्यक्ति की छबि बना चुके सचिन बासरे पहली बार विधानसभा चुनाव की जंग में उतरे हैं। जबकि दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड रहे विश्वनाथ भोईर कहीं ना कहीं कल्याण पश्चिम के विकास कार्यों में कम पडते दिखाई दिए हैं । कल्याण पश्चिम के चर्मकार समाज की बात करें तो इस समाज ने संत रोहिदास चौक ( गुरूदेव होटल के पास ) के सुशोभिकरण का प्रस्ताव दो साल पहले विश्वनाथ भोईर के सामने रखा था । यह प्रस्ताव आश्वासन की टोकरी में धूल खाते पडा है।
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स्मार्ट सिटी का कार्य धीमी गति से चल रहा है। नागरिकों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह खास वजहे हैं जिससे इस बार विश्वनाथ भोईर की हालत खराब हो रही है। कल्याण पश्चिम की जनता अब बदलाव चाहने लगी है। इस विधान सभा क्षेत्र के गठन के बाद से एक बात और भी सामने आयी है कि हर बार प्रमुख दल का एक ना एक सदस्य बगावत कर खेल बिगाड देता है । पहली बार जब शिवसेना और भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी राजू देवलेकर मैदान में थे तब मंगेश गायकर ( भाजपा नगरसेवक) ने बगावत कर समीकरण बिगाड दिए थे । जिसके चलते मनसे के प्रकाश भोईर विधायक बने ।
दूसरी बार भाजपा के नरेंद्र पवार विधायक बने और तिसरी बार जब गठबंधन के तहत यह सीट अखंडित शिवसेना को गयी तो नरेंद्र पवार ने बगावत कर दी और निर्दलीय मैदान में उतर गये। हालाँकि पवार पराजित हो गये और विश्वनाथ भोईर विधायक बन गये। इस बार फिर भाजपा मे बगावत हुई और भाजपा मंडल अध्यक्ष वरूण पाटिल ने बगावत कर अपक्ष के रूप में अपनी दावेदारी ठोंक दी है। वरूण पाटिल का अपना एक अलग दबदबा है और शहर विकास के मुद्दों को वह ढंग से उठाते भी हैं ।
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इसके अलावा नरेन्द्र पवार ने भी अपक्ष के तौर पर नामांकन दर्ज किया था लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। अब इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्य टक्कर बासरे, भोईर और पाटिल में ही होती दिख रही है जो कि समय आने पर अपना रूप दिखाएगी।