कल्याण पूर्व विधानसभा: रिवाल्वर और गोली में छिडी है जंग
कर्ण हिंदुस्तानी
कल्याण- कल्याण पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जंग अब रंगत दिखाने लगी है। दो बार निर्दलीय और एक बार भाजपा की ओर से चुनाव जीतने वाले गणपत गायकवाड़ की पत्नी सुलभा गायकवाड़ तथा गणपत की रिवाल्वर की गोली से घायल हुए महेश गायकवाड़ के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है । हालाँकि इस मुकाबले में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के धनंजय बोडारे भी अपनी उपस्थिति दर्शा रहे हैं लेकिन सभी की निगाहें गणपत की पत्नी और महेश गायकवाड़ मे सीधी टक्कर पर टिकी हुई हैं ।
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महेश गायकवाड़ अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले पर आम जन से इंसाफ मांगने मैदान में हैं और गणपत की पत्नी अपने पति को निर्दोष व भोला साबित करने में लगीं हैं।
दोनों के बीच शिवसेना के धनंजय बोडारे पिछली बार की तरह इस बार भी डटे हुए हैं । शिन्दे सेना के शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ ने टिकट ना मिलने पर बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन भरा है। शिन्दे गुट ने महेश गायकवाड़ को मनाना चाहा मगर महेश गायकवाड़ ने नामांकन वापस नहीं लिया। आखिरकार शिन्दे की शिवसेना के कल्याण जिला प्रमुख गोपाल लांडगे ने महेश गायकवाड़ और अन्य नौ लोगों को शिवसेना से निष्कासित कर दिया।जिससे कल्याण पूर्व विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक जंग अब अस्तित्व की जंग बन गयी है।
बता दें कि फरवरी माह में एक भूखंड को लेकर भाजपा के मौजूदा विधायक गणपत गायकवाड़ ने उल्हासनगर के हिल लाईन पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अनिल जगताप के कक्ष में महेश गायकवाड़ और अन्य लोगों पर कई राउंड फायरिंग की थी।
एक विधायक द्वारा इस तरह से गोलीबारी करने का महाराष्ट्र में यह पहला किस्सा था। इससे भाजपा की काफी किरकिरी भी हुई थी। मगर उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खासमखास गणपत गायकवाड़ की जगह उनकी पत्नी सुलभा गायकवाड़ को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बना दिया।
अपने चुनावी क्षेत्र को कब्जे में रखने के लिए गणपत गायकवाड़ जेल में रहकर सारी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं । जबकि गणपत की गोली से घायल होने वाले महेश गायकवाड़ जनता में यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें न्याय जनता ही देगी।
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पिछले विधानसभा नतीजों की बात करें तो निर्दलीय विधायक का चोला उतार कर गणपत गायकवाड़ ने भाजपा का दामन थाम लिया था और 60,332 मत हासिल किए थे । जबकि अखंडित शिवसेना के धनंजय बोडारे दूसरे क्रमांक पर थे और उनको 48,075 मत मिले थे।
बात अगर दो विधानसभा के पहले की करें तो जब 2009 में गणपत गायकवाड़ ने पहली बार निर्दलीय चुनाव लडा था तब उन्हें 60,592 मत मिले थे 2014 में यह मत संख्या कम होकर मात्र 36,357 रह गयी थी। फिर भाजपा का दामन थामने से गणपत गायकवाड़ ने 60,000 से ज्यादा मत हासिल किए।
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अब हालात यह हैं कि महेश गायकवाड़ इस चुनावी जंग को हमलावर और घायल की जंग मानकर लडाई लड रहे हैं । जिसमें उन्हें अच्छा जनसमर्थन भी मिलता दिख रहा है। गायकवाड़ विरूद्ध गायकवाड़ की जंग में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के धनंजय बोडारे फायदा उठाने की फिराक के हिसाब से काम कर रहे हैं
क्योंकि पिछली बार वह दूसरे क्रमांक पर रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं । कुल मिलाकर मौजूदा राजनीतिक समीकरण पल पल बदल रहे हैं । जिसे फिलहाल समझ पाना टेढी खीर ही है।