कल्याण ग्रामीण विधानसभा: शिवसेना शिंदे गुट के राजेश मोरे पर असमंजस बरकरार
देवकी यादव
जैसे-जैसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मतदान की तारीख नजदीक आ रही है कल्याण ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। यहां से चुनाव मैदान में उतरी तीनों प्रमुख पार्टियों महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचने और उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए जोर-जोर से प्रयास कर रहे हैं।
यहां से पिछले सत्र में विधायक रहे मनसे उम्मीदवार राजू पाटिल, अपने पिछले 5 साल में किए गए कार्यों पर एक बार फिर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं।
वही 5 वर्ष पूर्व शिवसेना से विधायक रहे और उस दौरान किए गए कार्यों और अपनी साफ सुथरी छवि के साथ सुभाष भोईर चुनाव मैदान में है।
जबकि शिवसेना शिंदे गुट के प्रत्याशी राजेश मोरे के चुनाव प्रचार से यह साफ दिख रहा है कि वह जीतने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ कट्टर शिवसेना मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए चुनाव पर मैदान में है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार कल्याण ग्रामीण से शिवसेना शिंदे गुट से टिकट पाने के लिए शिवसेना डोंबिवली ग्रामीण प्रमुख महेश पाटिल, दिवा के दिग्गज रमाकांत मढवी, हिंदी भाषी जनता परिषद के अध्यक्ष और वरिष्ठ शिवसेना नेता विश्वनाथ दुबे के साथ राजेश मोरे भी प्रयास कर रहे थे.
पार्टी नेतृत्व ने इन सभी नेताओं को अपने-अपने ढंग से प्रचार करने का आदेश दिया था. और पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राजेश मोरे के नाम की घोषणा की।
अब आते हैं इन इच्छुक उम्मीदवारो के कार्य क्षेत्र पर। कल्याण ग्रामीण में शिवसेना डोंबिवली ग्रामीण प्रमुख महेश पाटिल का इस क्षेत्र के लगभग हर गांव में कार्य है और अच्छा जनसंपर्क भी है।
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वही दिवा के रमाकांत मढवी का दिवा क्षेत्र के साथ पूरे कल्याण ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अच्छा जनसंपर्क है। इसी तरह हिंदी भाषी जनता परिषद के प्रमुख विश्वनाथ दुबे की संस्था द्वारा डोंबिवली ग्रामीण मैं निरंतर विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होता रहता है और उनका जनसंपर्क भी इस क्षेत्र में प्रभावशाली है
लेकिन इन सब इच्छुक और दमदार प्रत्याशियों को नजर अंदाज कर डोंबिवली शहर शिवसेना प्रमुख राजेश मोरे को टिकट दिए जाने के बाद से ही कल्याण ग्रामीण क्षेत्र में यह चर्चा ने जोड़ पकड़ लिया था कि राजेश मोरे यहां से डमी उम्मीदवार है। और वे सिर्फ यहां से मनसे प्रत्याशी राजू पाटिल को जीताने के लिए चुनाव मैदान में है।
क्योंकि लोकसभा चुनाव में राजू पाटिल ने यहां के शिवसेना उम्मीदवार डॉक्टर श्रीकांत शिंदे की मदद की थी। इसी के बदले शिवसेना शिंदे गुट यहां से मनसे प्रत्याशी राजू पाटिल को मदद करेंगे।
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और इन बातो की सच्चाई पर शिवसेना शिंदे नेतृत्व द्वारा राजेश मोरे को कल्याण ग्रामीण विधानसभा सीट से उम्मीदवारी देने के निर्णय ने मुहर लगा दी है।
क्योंकि अगर शिवसेना शिंदे गुट ने यहां से शिवसेना कल्याण ग्रामीण प्रमुख महेश पाटिल, दिवा के दिग्गज रमाकांत मढवी, या फिर हिंदी भाषी नेता विश्वनाथ दुबे में से किसी भी एक को टिकट दिया होता तो यहां शिवसेना शिंदे गुट के स्थिति अलग होती, और उनके जीतने के भी आसार थे।
लेकिन डोंबिवली शहर प्रमुख राजेश मोरे का डोंबिवली ग्रामीण में कोई विशेष जनाआधार नहीं है। और यह उनका कार्य क्षेत्र भी नहीं है। ऐसे में उन्हें यहां से उम्मीदवारी दिए जाना यहां के शिंदे शिवसेना समर्थकों में ही तरह-तरह के अटकलें लगाये जा रहे हैं।
इसका प्रमाण भी कल्याण ग्रामीण में भाजपा और शिवसेना नेताओं द्वारा किए जा रहे चुनाव प्रचार से समझा जा सकता है। राजेश मोरे के लिए कल्याण ग्रामीण में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव प्रचार सभा ली है।
राजेश मोरे निरंतर चुनाव रैली और प्रचार सभा कर रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता जहां संभव हो वहां के घरों में जाकर राजेश मोरे का प्रचार और हैंडबिल और संकल्प पत्र भी पहुंचा रहे हैं।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से कल्याण ग्रामीण भाजपा कार्यकर्ताओ द्वारा मनसे प्रत्याशी राजू पाटिल के लिए काम करने के संकेत मिल रहे हैं। अभी दो-तीन दिन पूर्व ही कल्याण ग्रामीण भाजपा उपाध्यक्ष संदीप माली को पुलिस ने तड़ीपार का नोटिस थमाया है यह पुलिस कार्रवाई क्यों हुई इस पर नागरिकों में तरह-तरह की चर्चाओं का जोड़ है।
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लेकिन एक बात शिवसेना शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा है कि अपने पार्टी के प्रत्याशी सिर्फ उस तरफ अपना प्रचार अभियान जोर शोर से क्यों चला रहे है जहां शिवसेना उद्धव गुट का जोर है। उस तरफ क्यों नहीं जहां मनसे का मजबूत वोट बैंक है।
शिवसेना उद्धव गुट के डोंबिवली ग्रामीण के पीएनटी कॉलोनी, २७ गांव और दिवा में अच्छा जनाधार है। तो पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने पीएनटी कॉलोनी और दो दिन पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिवा में अपने उम्मीदवार के लिए जनसभाएं ली
लेकिन मनसे का मजबूत वोट बैंक लोढ़ा, लोढ़ा के सामने बसा घनी आबादी वाला पट्टा, काटई, नीलजे, कोल्हे गांव के साथ पलावा सिटी भी है। जहां शुरुवात से मतदान लिस्ट में नाम डलवाने का काम मनसे की तरफ से किया गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार रमेश म्हात्रे इसी क्षेत्र से पिछड़ गए थे।
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इस बार इस क्षेत्र में शिवसेना शिंदे गुट का कोई बड़ा नेता यहां कोई आम सभा लेता नहीं दिख रहा है और इनका प्रचार अभियान भी सीमित लक्ष्य के साथ ही यहां चल रहा है।