उपमुख्यमंत्री पद मिलने से नाराज भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने, उद्धव ठाकरे से नजदीकियां बढ़ानी शुरू की
देवकी यादव
राज्य में पिछले 20 दिनो से चले राजनीतिक उठापटक के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी की सरकार गिर गई और शिवसेना के बागी विधायक और भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राज्य में नई सरकार का गठन हो गया।
नई सरकार में जहां शिवसेना के बाद बागी विधायकों का गुट मुख्यमंत्री पद लेने में कामयाब रहा । वहीं महाराष्ट्र की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को षड्यंत्र कर गिराने की बदनामी झेलने के बावजूद भाजपा को उपमुख्यमंत्री का पद मिला है।
वरिष्ठ भाजपा सूत्र के अनुसार राज्य में पिछले दिनों घटे राजनीतिक घटनाक्रम और भाजपा के हिस्से में उप मुख्यमंत्री पद ही आने से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से असंतुष्ट है।
और इसी क्रम में भाजपा नेतृत्व ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है।
इसी के तहत गत दिनों भाजपा समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को शिवसेना सांसदों का समर्थन मिले इसीलिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बातचीत की।
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ज्ञात हो कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए देशभर के समविचारी दलों से समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को ही सौंपी है।
वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे में पुरानी जान पहचान है और शायद इसीलिए उद्धव ठाकरे के फोन लाइन पर आने के बाद मजाकिया लहजे में राजनाथ सिंह ने “अस्सलाम वालेकुम” कहकर बात की शुरुआत की।
जिस पर उद्धव ठाकरे ने भी बहुत ही सधे हुए अंदाज में जवाब दिया “अस्सलाम वालेकुम” के जवाब में उद्धव ठाकरे ने राजनाथ सिंह को कहा कि शिवसेना भले ही राज्य की कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर ढाई बरस सत्ता में थी।लेकिन कभी शिवसेना ने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है।
उधव ठाकरे के इस हाजिर जवाबी के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता सिंह ने “जय श्री राम” कहते हुए स्थिति को संभाल लिया।
भाजपा समर्थित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को शिवसेना सांसदों का समर्थन मिलने की बात पर उद्धव ठाकरे ने राजनाथ सिंह को सकारात्मक उत्तर दिया और उन्होंने अगले दिन ही आयोजित सांसदों के बैठक के बाद संभावित निर्णय की घोषणा करने की बात कही।
शिवसेना प्रमुख ठाकरे ने अगले दिन सांसदों की बैठक बुलाई, जिसमें 18 में से 12 सांसद उपस्थित थे और सभी ने एकमत से भाजपा समर्थित आदिवासी समाज की महिला को ही अपना समर्थन देने का मत व्यक्त किया।
मीडिया खबरों के अनुसार इस बैठक में अपने विवादित बोल के लिए मशहूर शिवसेना सांसद संजय रावत भी उपस्थित थे और उन्होंने बैठक में ही महा विकास आघाडी के समर्थित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को पार्टी की तरफ से समर्थन दिए जाने की वकालत की।
जिसे वहां उपस्थित सभी 12 सांसदो ने विरोध किया और फिर सांसदो के मनोभाव को समझते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी भाजपा समर्थित उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को ही समर्थन देने की घोषणा कर दी।
शिवसेना भाजपा से नज़दीकियां चाहती है इसी एजेंडे के तहत शिवसेना नेताओं ने यह खेल खेला। जिसमें शिवसेना के ही सांसदों ने मीटिंग में हुए पूरे घटनाक्रम का ब्योरा पत्रकारों को दिया है।
भाजपा समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन के लिए आयोजित सांसदों के बैठक की पूरी बात सार्वजनिक कर शिवसेना ने तो अपना पक्ष रख दिया है की शिवसेना हिंदुत्व की पक्षधर है और भाजपा के साथ रहना चाहती है।
हमेशा भाजपा के लिए तीखे बयान बाजी के लिए मशहूर संजय राउत की किरकिरी जगजाहिर कर भाजपा नेतृत्व के साथ अपने बागी नेताओं को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया।
और शिवसेना के इस प्रयास उस समय प्रभावी हो गया, जब उद्धव ठाकरे और राजनाथ सिंह की “अस्सलाम वालेकुम” वाली कहानी सार्वजनिक की गई।
इसमें शिवसेना ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से पुराने संबंध दर्शाने का प्रयास किया है और गेंद भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डाल दी है।
इधर देशभर में महाराष्ट्र की पूर्ण बहुमत वाली सरकार को षड्यंत्र कर गिराने की बदनामी झेल रहे भाजपा को उपमुख्यमंत्री पद मिलने से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व असंतुष्ट है। और स्थितियां सामान्य करने के प्रयास में लग रहा है।
राजनैतिक विश्लेषक भले ही केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उद्धव ठाकरे की राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए समर्थन के लिए बातचीत एक प्रोटोकॉल मान रहे है।
लेकिन इसके मायने अलग भी होने की पूरी संभावना है।और बीते १० दिनों की परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में भाजपा कही हासिए पर नही आ जाए इसपर भी भाजपा केंद्रीय नेतृत्व पूरा ध्यान दे रहा होगा।
क्योंकि जिन अटकलों के साथ राज्य की ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी की सरकार गिराई गई थी
जिसमें शिवसेना खत्म हो जाएगी!
शिवसेना की पूरी बागडोर एकनाथ शिंदे के हाथ में आ जाएगी !
शिवसेना की मुख्यालय और पार्टी सिंबल पर एकनाथ शिंदे गुटका कब्जा हो जाएगा!
शिवसेना संगठन पर एकनाथ शिंदे गुटका कब्जा हो जाएगा!
ये सब दावे बीते दिनों के साथ आसमानी साबित हुए हैं।
चुने हुए जनप्रतिनिधि भले ही विरोधी शिंदे गुट के साथ है लेकिन राज्य भर के शिवसेना संगठन के लोगों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रति निष्ठा दिखाई है।
भाजपा नेतृत्व शायद इन्ही बदलती परिस्थितियों को समझ कर संभाल संभाल कर कदम उठा रहा है।और शायद इसीलिए मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है।