आदित्य ठाकरे तेजस्वी यादव मुलाकात, बिहारी वोटों पर नजर
युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे का आज अचानक ही बिहार का दौरा और वहां राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात को आदित्य ठाकरे भले ही अनौपचारिक मुलाकात बता रहे हैं लेकिन राजनीतिक हलकों में यह मुलाकात उद्धव ठाकरे की शिवसेना पार्टी की मुंबई में रह रहे बिहारी वासियों की वोट पर नजर होने की चर्चा है।
आज बिना कोई मीडिया को बताएं उद्धव ठाकरे की शिवसेना के युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने अपने पार्टी के नेता अनिल देसाई और पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी के साथ बिहार की राजधानी पटना जाकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के निवास पर मुलाकात की। तेजस्वी यादव ने महाराष्ट्र के युवा नेता आदित्य ठाकरे की गर्मजोशी से स्वागत की और उन्हें बिहार का गौरव कहे जाने वाला मधुबनी की पेंटिंग युक्त साल और पुस्तक उपहार स्वरूप दिया।
तेजस्वी यादव ने इस मुलाकात के बाद अपनी गाड़ी पर बिठाकर आदित्य ठाकरे को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर ले गए और नीतीश कुमार से मुलाकात करवाया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी महाराष्ट्र के युवा नेता का गर्मजोशी से स्वागत किया।
कार्यक्रमों के बाद मुंबई के लिए प्रस्थान करते हुए आदित्य ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत करते करते हुए इन मुलाकातों को अनौपचारिक बताया। मीडिया में दिए अपने बयानों में उन्होंने कहा कि तेजस्वी और बे दोनों हम उम्र है दोनों की उम्र 32 – 33 साल है राष्ट्रीय राजनीति में युवा नेताओं में आपसी समन्वय आवश्यक है। अंत में मीडिया में ही यह खबरें आई कि आदित्य ठाकरे ने तेजस्वी यादव को मुंबई आने का निमंत्रण दिया है।
अब बात करते हैं मुंबई और आसपास के उप नगरों में बिहारी वोटों का महत्त्व
एक जमाना था। कॉन्ग्रेसी शासन के दौरान विधानसभा चुनाव की घोषणा के तारीख के एक-दो दिन महीने पहले ही राज्य में हिंदी भाषा मराठी भाषी विवाद शुरू होता था 10-20 हिंदी भाषियों की पिटाई होती थी कांग्रेसी नेता बीच-बचाव करते थे जबकि आक्रमक रुख शिवसेना नेताओं का रहता था।
चुनाव में इसका फायदा यही दो दल उठाते थे। डरे सहमे हिंदी भाषी अपने कथित हितैषी कांग्रेस को वोट करते थे। और मराठी वोट के दावेदार शिवसेना होती थी। दो विधान सभा चुनाव पूर्व तक अब यह फंडा शिवसेना से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने हथिया लिया है।
महाराष्ट्र में हिंदी भाषियों के प्रमुख नेताओं के बारे में बातचीत किया जाए तो कुछ तो अपने समय में किए गए भ्रष्ट्राचार के कारण घर में बैठ गए कुछ पार्टी नेताओं की साजिश के कारण घर में बैठ गए। इनमे भाजपा के पूर्व विधायक अभिराम सिंह और कृपाशंकर सिंह के नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।
आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र के पिछड़ले आघाडी सरकार मे मंत्री होने के पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं दादा शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का सानिध्य, अपने निवास मातोश्री पर होश संभालते ही राजनैतिक गहमा गहमी का अनुभव, पार्टी शिवसेना के साथ पारिवारिक उतार चढ़ाव का प्रत्यक्ष अनुभव, और पिछले दिनों उनके पिता और तत्कालीन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को उनके ही पार्टी के ४० विधायको द्वारा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद आदित्य ठाकरे बेहद मजबूती से इस झटके से उबरने की कोशिश की है।
राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने पूरी तरह से पार्टी को नई जान फूंकने के लिए जी जान का जोर लगा दिया है। जिसमें राज्य भर में पार्टी को संभालना, पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़े रखना और विरोधियों को करारा जवाब देना शामिल है।
इस दौरान उन्हें लगातार झटका भी लगा जिसमे शिवसेना के 2 फाड़ हो गए जिसमें मुख्यमंत्री शिंदे गुट को पार्टी का नाम बाला साहब की शिवसेना हो गया और उनकी पार्टी का उद्धव ठाकरे की शिवसेना का नाम मिला इन सब के बावजूद अपने अभियान में लगे रहे और प्रखर होकर विरोधियों का सामना करते हैं।
इस दौरान मजबूती के साथ पार्टी का जनाधार कैसे बढ़ेगा इसपर उन्होंने निरंतर काम किया। इसी के तहत उन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस के भारत अभियान के लिए राहुल गांधी से मिले और उनके साथ यात्रा में सहभागी हुए।
मुंबई और आसपास के इलाकों में बिहार वासियों का वोट बैंक अच्छा है राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव की छवि बिहार में भले ही एक विशिष्ट जाति के वोट बैंक के लिए प्रभावशाली हो लेकिन युवा होने के कारण तेजस्वी यादव की लोकप्रियता आम बिहारियों में ही मानी जाती है।
ऐसे में आदित्य ठाकरे का बिहार के राजधानी पटना जाकर तेजस्वी यादव से मिलना और फिर उन्हें मुंबई आने का आमंत्रण देना के कारण को समझा जा सकता है