सभी तरफ हो चुकी बगावत, तुला ना मला घाल तिसऱ्याला
(कर्ण हिन्दुस्तानी )
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों का बिगुल बजने के पश्चात अब सभी दलों ने अपने अपने हिसाब से उम्मीदवारों के नामों की घोषणा शुरू कर दी है। इसी कड़ी में कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बाहरी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होने के संकेत मिलें हैं , जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं और खासकर टिकिट के इच्छुक लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है।
कल्याण पश्चिम की बात करें तो यहां से मौजूदा विधायक नरेंद्र पवार का टिकिट काट कर बीजेपी ने यह सीट शिवसेना के खाते में डाल दी है। मगर शिवसेना ने यहां से स्थानीय शिवसैनिक को टिकिट ना देकर शिवसेना भिवंडी ग्रामीण के अध्यक्ष प्रकाश पाटिल को टिकिट देने के संकेत दिए हैं। जिसके चलते स्थानीय शिवसेना पदाधिकारियों में भी रोष का माहौल है। शिवसैनिकों ने इस बाहरी उमीदवार का विरोध करते हुए इस्तीफे देने का स्तर चला दिया है तो जो कल तक बीजेपी के मौजूदा विधायक नरेंद्र पवार का विरोध कर खुद को टिकिट देने की मांग कर रहे थे वह सभी भी नाराजगी व्यक्त करते हुए अपना इस्तीफा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को सौंप चुके हैं।
यहां तक कि खुद नरेंद्र पवार ने भी बीजेपी से अपना इस्तीफ़ा प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया है। शिवसेना और बीजेपी कार्यकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि दोनों दलों का यह निर्णय हमें मान्य नहीं है। क्योंकि दोनों ही दल तुला ना मला घायल तिसऱ्याला की भूमिका में उतर चुकें हैं।
वहीँ कल्याण ग्रामीण से शिवसेना के मौजूदा विधायक सुभाष भोईर को दुबारा मैदान में उतारे जाने का शिवसैनिक ही विरोध कर रहे हैं। इस बार शिवसेना के वरिष्ठ नगर सेवक रमेश महात्रे इस विधानसभा से इच्छुक थे मगर उन्हें शिवसेना ने निराश किया है। वहीँ कल्याण पूर्व की सीट पर शिवसेना ने दावा किया था मगर कल्याण पूर्व से बीजेपी ने मौजूदा अपक्ष विधायक गणपत गायकवाड़ को बीजेपी से उतार दिया है। जिसके चलते कल्याण पूर्व में भी शिवसेना बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखि जा रही है।
वहीँ यदि बात डोम्बिवली विधानसभा की करें तो यहां से रविंद्र चव्हाण को तीसरी बार बीजेपी ने टिकिट दी है। रविंद्र चव्हाण की कार्यशैली से आम जनता भी नाराज है मगर बीजेपी के आला पदाधिकारी चव्हाण से खुश हैं , इसलिए उनके खिलाफ किसी भी तरह की शिकायत को नजरअंदाज ही किया जाता है। इस तरह से कल्याण डोम्बिवली की चारों विधानसभा क्षेत्रों में मुख्य दल बीजेपी – शिवसेना के कार्यकर्ता नाराज हैं मगर इन नाराज लोगों की सुनता कौन है ?