उल्हासनगर विधानसभा चुनाव: भाषाई जंग होने की संभावना
कर्ण हिंदुस्तानी
उल्हासनगर- विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के साथ ही उल्हासनगर में चुनावी घमासान के स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं । इस बार उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र में भाषाई जंग होने के हालात बनते दिख रहे हैं ।
इस विधानसभा क्षेत्र के गठन से लेकर अब तक सिंधी भाषी विधायक ही निर्वाचित होते आया है। गैर सिंधी भाषी विधायक यहाँ से कभी जीता ही नहीं है।
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लेकिन इस बार कुछ राजनीतिक दलों ने सक्षम गैर सिंधी भाषी प्रत्याशी उतारने का मनसूबा जाहिर किया है। जिससे इस बार के विधानसभा चुनाव का समीकरण अलग बनता दिख रहा है।
एक समय में यह विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ हुआ करता था और शीतलदास हरचंदानी जैसे लोग यहां से लगातार चुनकर आया करते थे।
बाद में सुरेश (पप्पू) कालानी का राजनीतिक कद बढा और सुरेश (पप्पू) कालानी यहां से विधायक बनने लगे। और फिर शहर की राजनीति कालानी महल तक सिमट कर रह गयी। शहर के लोगों ने और खासकर सिंधी भाषियों ने पप्पू कालानी को अपना मसीहा मानना शुरू कर दिया।
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लेकिन अनेक निजी कारणों से पप्पू कालाणी को सलाखों के पीछे जाना पडा। लेकिन जेल रहकर भी उसका प्रभाव कम नहीं हुआ और जेल में रहकर भी पप्पू कालाणी ने विधानसभा चुनाव जीता।
इसके बाद पप्पू कालाणी की पत्नी ज्योति कालानी ने राजनीती में कदम रखा और नगराध्यक्ष आदि का सफर तय करते हुए वह विधायक बनीं।
लेकिन ज्योति कालाणी में पप्पू कालाणी वाले गुण की कमी थी। जिससे उल्हासनगर वासी पप्पू कालाणी के पर्याय के रूप में भाजपा के कुमार आयलानी की तरफ हो गए। कुमार आयलानी स्थानीय नागरिकों की मदद से दो बार विधायक बने ।
लोनावला के कुमार रिसोर्ट के मालिक कुमार आयलानी ने दो बार विधायक रहते हुए शहर के विकास का कोई ठोस कार्य नहीं किया। जैसा पप्पू कालाणी के विधायक के कार्यकाल में हुआ था।
शहर में आज भी धडल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं । अपराध का ग्राफ भी चरम सीमा पर है। पेयजल समस्या जस की तस है। ऐसे में भाजपा नेतृत्व कुमार आयलानी का टिकट काट कर किसी अन्य भाजपाई को यहां से उम्मीदवारी सौंप सकती है।
अब बात करें मौजूदा उल्हासनगर विधानसभा चुनाव २०२४ में कौन कौन उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर रहा है। तो सबसे पहले तो वर्तमान विधायक कुमार आयलानी के नाम की घोषणा भाजपा ने पहली सूची में नहीं की है।
जिससे यह सीट पर भाजपा नेतृत्व द्वारा नाम में बदल या फिर यह सीट शिन्दे गुट को जाने की संभावना बनती दिख रही है।
कालानी परिवार से पप्पू कालाणी के पुत्र ओमी कालानी युवा है। और राजनैतिक स्तर पर मंजे हुए खिलाड़ी की तरह अपने पिता की विरासत संभाल रखी है। वे इस बार शरद पवार की तुतारी चुनाव चिन्ह लेकर चुनावी जंग में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
संजय गुप्ता नामक कथित समाजसेवक भी निर्दलीय अपना भाग्य आजमाने को तैयार हैं । जीवन इदनानी, भरत गंगोत्री भी मैदान में उतरेंगे । लेकिन अभी तक किसी भी दल ने अपने पत्ते पूरी तरह से खोले नहीं हैं । फिर भी इस बार का चुनाव उल्हासनगर के लिए विकास के मुद्दों के साथ साथ भाषाई जंग भी लेकर संपन्न होगा।