कल्याण ट्रैफिक पुलिस का झोल, नो पार्किंग से गड़िया उठाने के दो रजिस्टर
कल्याण में यातायात पुलिस द्वारा पिछले कुछ दिनों से नये सिरे से वाहनों का उठाना शुरू किया है। लेकिन उठाए गए वाहनों का हिसाब किताब एक कच्चे रजिस्टर में रखा जाता है। कच्चे रजिस्टर में इंट्री करने का मतलब यह है कि यदि 100 गाडियां उठाकर लाई गई तो उसमें से 70 गाडियों का तोड़ पानी करके छोड़ दिया जाता है
और जो 30 प्रतिशत बच गए, उन्हें ही फिर पक्के रजिस्टर में दिखाया जाता है। आम नागरिक यातायात पुलिस द्वारा किये जा रहे इस झोल को गलत बताने के साथ सरकारी खजाने को नुकसान भी बता रहे है। नागरिक यातायात पुलिस की यह भ्रष्ट कारवाई को भेदभाव पूर्ण भी बता रहे है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यातायात विभाग का वाहन टोइंग कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो जाने के कारण कल्याण भर मे अवैध पार्किंग मे खड़ी गाड़िया उठाने का काम रोक दिया गया था। जो पिछले दिनों शुरू हो गया है।
कल्याण मे नागरिकों द्वारा वर्षों से यातायात विभाग को बार बार यह स्मरण दिलाया जाता रहा है कि नो पार्किंग मे खड़ी गाड़ियों का ई चालान काटा जाए. जिससे मानव शक्ति तो बचेगी ही, सरकार का व्यय भी बचेगा, और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा। लेकिन अज्ञात कारणों से विभाग नागरिकों के इस को नजरंदाज करता रहा है।
कल्याण मे यह देखा गया है कि नो पार्किंग से वाहन उठाने वाले भाड़े के मजदूर मुंह देखी काम करते हैं। और नो पार्किंग से कौन सी गाड़ी उठानी है और कौन सी नहीं यह गाड़ी में बैठा पीएसआई तय करता है। कल्याण रेलवे स्टेशन से नजदीक ही स्थित उप परिवहन कार्यालय के पास सैकड़ों वाहन नो पार्किंग में खड़े रहते हैं परंतु उन्हें कोई हाथ नहीं लगाता है।
कल्याण रेलवे स्टेशन के पास हि सबसे व्यस्ततम इलाका तहसीलदार कार्यालय के सामने हजारों गाडियां नो पार्किंग के बोर्ड लगाने के बावजूद खड़ी रहती हैं जिनमें 90 प्रतिशत गाडियों पर पुलिस, कोर्ट स्टाफ, केडीएमसी या अन्य सरकारी विभाग के नाम लिखे होते हैं। ऐसी गाडियों को यातायात विभाग का टोइंग वैन नहीं उठाता है। जबकि कल्याण तहसीलदार कार्यालय से महज कुछ ही मीटर पर कल्याण मनपा का भव्य वाहन पार्किंग भवन है।
यहा नागरिकों ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या सरकारी स्टिकर लगे गाड़ियों को कही भी वाहन पार्किंग का अधिकार है।
इन जगहों पर यातायात विभाग कि नजर आम नागरिकों के वाहन पर रहती है, यानि जिसभी वाहन पर सरकारी स्टिकर नहीं है। उसको उठा लिया जाता है। यहा यह भी देखा गया है कि यातायात विभाग इन जगहों पर अवैध रूप से खड़े चौपहिया वाहन पर कारवाई करने से वचते है। क्योंकि यातायात विभाग के पास पर्याप्त संख्या में लॉक नहीं हैं।
नागरिकों के अनुसार यहा यदि ई चालान की प्रक्रिया नो पार्किंग के लिए अपनाई जाए तो चौपहिए वाहन भी इनके लपेटे में आ जाएंगे। हालांकि कल्याण यातायात पुलिस ने ई चालान सीस्टम में भी तोड़ पानी के उपाय निकाल लिए गए हैं। ड्यूटी हवलदार या कांस्टेबल के पास दो मोबाइल होते हैं एक निजी और दूसरा सरकारी। यानी कच्चा रजिस्टर और पक्का रजिस्टर वाली पद्धति यहां भी अपनाई जाती है।
अनेक भुक्तभोगी नागरिकों के अनुसार ट्रैफिक पुलिस लोगों को डराने के लिए पहले कच्चे मोबाइल से फोटो निकलते हैं और तोड़ पानी करते है और जिस मामले मे तोड़पानी नहीं हुई हो उस केस को पक्का मोबाइल में ट्रांसफर कर दिया जाता हैं।
बहरहाल, कल्याण शहर में बिना पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था किए वाहनों का उठाना न्यायोचित नहीं लगता। कहीं कहीं पर ऑड इवेन पार्किंग की व्यवस्था तो है परंतु उनमें से 25 प्रतिशत जगह दुकान वाले और फेरीवालों ने हड़प लिया है। दुकान वाले इस पार्किंग स्थान पर लोहे का तीन फीट बाई दो फीट के ग्रीलनुमा पायदान या पत्थर रख देते हैं।
जहां दो दुपहिए पार्क किए जा सकते थे। स्थानीय दुकानदारों को ऐसा करने से रोकने के साथ ये पायदान या पत्थर उठाना मनपा कर्मियों की ड्यूटी है न कि यातायात विभाग का। अब देखना यह है कि वाहनों को उठाने की प्रक्रिया कब इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया में बदलेगी?