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कल्याण लोकसभा सीट पाने भाजपा का प्रयास एडी-चोटी का, पर मुख्यमंत्री शिंदे….

राजेश सिन्हा

गुरुवार देर शाम राज्य के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे अपने पार्टी के आठ लोकसभा उमीदवारों के नामों की सूची जारी की। इस सूची में उन्होंने ठाणे और कल्याण लोकसभा सीट पर नामों की घोषणा नहीं की। जबकि ठाणे लोकसभा सीट खुद एकनाथ शिंदे के लिए महत्वपूर्ण है।

वहि कल्याण लोकसभा सीट से उनके पुत्र और यहां से पिछले दो सत्र में सांसद रहे डा.श्रीकांत शिंदे की तैयारी जोरशोर से चल रही है। ये दोनों सीट से पिछले लोकसभा मे शिवसेना ही जीती थी तो गठबंधन के नियमों मे शिवसेना को ये दोनों सीट मिलना स्वभाविक रूप से लगभग निश्चित माना जा रहा था।

लेकिन कल शाम को शिवसेना के लिस्ट में डॉक्टर श्रीकांत शिंदे का नाम नहीं होना महायुति के दल भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में अंदर ही अंदर चल रहे महा घमासान के चित्र साफ दिख रहे है।

कल्याण लोकसभा से शिवसेना के द्वारा नाम की घोषणा मे हो रही देरी से यह साफ दिख रहा है कि एक तरफ जहां भाजपा कल्याण लोकसभा सीट शिवसेना से झपटने की कोशिश में एडी चोटी का दम लगा रही है वही एकनाथ शिंदे अपने इरादों से टस से मस होते नहीं दिख रहे हैं ऐसे में यह साफ दिख रहा है कि कल्याण लोकसभा सीट पर महायुती के उम्मीदवार के नाम की घोषणा मे देरी हो सकती है.

कल्याण लोकसभा सीट पर कब्जा जमाने की रणनीति भाजपा की अनेक वर्षों से थी, लेकिन भाजपा की यह मंशा राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी महायुती की सरकार के गठन के बाद खुलकर सामने आने लगी।

इसी के बाद भाजपा नेताओं द्वारा कल्याण लोकसभा सीट पर दावेदारी की बयान बाजी, यहां केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में अनुराग ठाकुर का तीन चार बार दौरा ऐसे संकेत थे की भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में कल्याण लोकसभा क्षेत्र पर अपना दावा कर सकती है।

भाजपा के इसी रणनीति के तहत अनेक नेता यहां से पिछले दो सत्र में सांसद और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र डा.श्रीकांत शिंदे को ठाणे लोकसभा सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की सलाह वाली बयानबाजी भी की, लेकिन एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ के तरह मुख्यमंत्री शिंदे ने भाजपा के इस बयानबाजी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की।

लेकिन अंदर ही अंदर मुख्यमंत्री शिंदे ने यह भाप लिया था की कल्याण लोकसभा सीट पर आगामी 2024 के चुनाव में उन्हें भाजपा से कड़ी चुनौती मिलने वाली है और इसी आशंका के तहत उन्होंने यहां के सभी छ के छ विधानसभा क्षेत्र में ऐसी मोर्चाबंदी की, की भाजपा को कल्याण लोकसभा सीट पर स्थानीय स्तर पर मजबूती से दावेदारी पेश करने की कोई जमीनी आधार ही नहीं हो।

यहां के छ विधानसभा क्षेत्र में से कलवा मुंब्रा विधानसभा क्षेत्र ठाणे के नजदीक होने के कारण पहले भी यहां से उनके पुत्र को मताधिक्य प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होती रही है। यहां के डोंबिवली विधानसभा क्षेत्र भले ही भाजपा के अधीन है लेकिन शिवसेना के नेताओं में पुण्डलिक म्हात्रे, रमेश म्हात्रे, राजेश मोरे, जैसे अनेकों ऐसे नाम है, जिनके सामने यहां के सभी भाजपा नेता बौने साबित होते हैं।

ऐसा ही शिवसेना के डोंबिवली ग्रामीण प्रमुख महेश पाटिल का नाम है जिसके दम पर मुख्यमंत्री शिंदे डोंबिवली ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अपने पुत्र के लिए एक तरफा मतदान करवा सकते हैं,

फिर आता है कल्याण पूर्व विधानसभा क्षेत्र जहां से अभी हाल ही में यहां के भाजपा विधायक गणपत गायकवाड द्वारा शिवसेना कल्याण पूर्व प्रमुख महेश गायकवाड पर गोलीबारी की घटना सामने आई थी। राजनीतिक विशेषज्ञ गणपत गायकवाड और महेश गायकवाड के आपसी विवाद को भी इसी वर्चस्व की राजनीति से जोड़ते हैं और यहां से भी जहां गणपत गायकवाड जेल में है वही महेश गायकवाड़ के साथ पूरा कल्याण पूर्व का शिवसेना संगठन पूरे जोश से खड़ा है

अब आती है उल्हासनगर विधानसभा क्षेत्र की बारी, यहां से भले ही भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुमार एलानी है लेकिन यहां के सक्रिय राजनीति में पप्पू कॉलोनी और उनके पुत्र ओमि कॉलोनी का अच्छा वर्चस्व है। यहां भी ओमी कालानी ग्रुप से मुख्यमंत्री शिंदे ने अपनी अच्छी पैठ बना ली है।

और अंत मे बात करते है अंबरनाथ विधानसभा क्षेत्र की, यहा से शिवसेना का ही विधायक है तो यहां से डॉक्टर श्रीकांत शिंदे को कोई दिक्कत आने का सवाल ही नहीं आता है

ऐसे में भाजपाई कल्याण लोकसभा सीट के लिए भले ही कागजी दावा कुछ भी करते रहे लेकिन यहां से एकनाथ शिंदे की दावेदारी को कम दिखाने का कोई भी प्रयास भाजपा को सफलता नहीं दे सकती है।