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विधानसभा चुनाव: कल्याण डोंबिवली के चारों सीटों से भाजपा का सुपड़ा साफ होने के चिन्ह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भले ही महाराष्ट्र में अपने चुनावी सभाओ में यह दावा कर रहे हैं की 2024 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महायुद्ध गठबंधन की सरकार बनानी है। और 2029 में भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी।

लेकिन धरातल पर भाजपा की स्थिति बिलकुल विपरीत है। और कल्याण डोंबिवली की परिस्थितियों का आकलन करें तो यहां के चार विधानसभा सीटों में से भाजपा एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं दिख रही है।

सबसे पहले हम बात करते हैं डोंबिवली विधानसभा सीट की। जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन इस बार स्थिति विपरीत है।

भाजपा उम्मीदवार और राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री रविंद्र चव्हाण के विरोध में स्थानीय मतदाताओं के साथ संघ परिवार में भी खासी नाराजगी दिख रही है। और विपक्ष से कोई दमदार उम्मीदवार खड़ा कर दिए जाए तो यह सीट भाजपा से छिटकने के पूरे आसार है ।

यहां से शिवसेना शिंदे गुट के दीपेश म्हात्रे द्वारा निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी यहां एक वर्ष पूर्व से लग रहे उनके बैनर और पोस्टर से समझा जा सकता है।

चुनाव के महज कुछ दिन ही बाकी है। और यहां रविंद्र चव्हाण और दीपेश म्हात्रे की अंदरुनी शह और मात देने का खेल सोशल मीडिया के साथ विभिन्न समाचार पत्रों से समझा जा सकता है।

इसके बाद डोंबिवली विधानसभा सीट से सटे कल्याण ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र आता है। जिसे भाजपा ने 2015 में उम्मीदवार नहीं देकर अपनी दावेदारी छोड़ दी थी। और यहां से पिछले दो सत्र से शिवसेना के उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। और पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवार रमेश म्हात्रे बहुत कम वोटो से यहां के विजय प्रत्याशी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राजू पाटिल से हारे थे।

कुछ सीटों को छोड़ कर, महायुती गठबंधन में यह तय हुआ है कि जिस सीट पर शिवसेना ने या फिर जिस भी दल ने पिछले चुनाव में जीत दर्ज की है या फिर चुनाव लड़ा है। वो सीट इस बार उसी दल के हिस्से में जाएगी। ऐसे में कल्याण ग्रामीण सीट शिवसेना शिंदे गुट के पास जाना तय है ।

यहां से शिवसेना शिंदे गुट के सबसे दमदार उम्मीदवार शिवसेना शिंदे गुट ग्रामीण तालुका प्रमुख महेश पाटिल है। हालांकि यहां से शिवसेना शिंदे गुट से ही राजेश मोरे, अर्जुन पाटिल(काटई) रमाकांत मढवी(दिवा) और कैलाश शिंदे(पिसवली) के भी इच्छुक होने का नाम आ रहा है।

जबकि इसी सीट पर इस बार फिर से भाजपा ने अपने दावेदारी पेश करते हुए नंदू परब द्वारा तैयारी किए जाने की सूचना है

अब बारी आती है भाजपा की कल्याण पूर्व विधानसभा सीट की। यहां से भाजपा के गणपत गायकवाड पिछले तीन सत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी शिवसेना कल्याण पूर्व शहर प्रमुख महेश गायकवाड पर गोलीबारी करने की घटना के बाद अभी तक जेल में बंद है।

और यहां से शिवसेना शिंदे गुट के ही महेश गायकवाड़ के साथ विशाल पावशे, नीरज शिंदे चुनाव मैदान में उतरने के लिए पूरी तैयारी कर रहे है। शिंदे गुट के इन इच्छुक उम्मीदवारों के लिए अनेक न्यूज़ चैनल में जनमत संग्रह का भी न्यूज़ जोरदार ढंग से चलाया जा रहा है।

हालांकि यहां से विधायक गणपत गायकवाड की पत्नी सुलभा गणपत गायकवाड भाजपा के तरफ से चुनाव मैदान में उतरने की पूरी तैयारी में है। ऐसे में महायुती गठबंधन में इस सीट पर क्या निर्णय होता है यह देखने योग्य होगा।

महायुति गठबंधन में यहां से कोई भी पार्टी को सीट मिले लेकिन यहां से बगावत होना लगभग निश्चित माना जा रहा है। महायुती गठबंधन में अगर यह सीट भाजपा के कोटे में जाता है तो फिर शिवसेना शिंदे गुट के कल्याण पुर्व शहर प्रमुख महेश गायकवाड के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना लगभग निश्चित है।

इसी तरह अगर यह सीट किसी कारणवश शिवसेना शिंदे गुट के पास जाता है, तो फिर यहां से विधायक गणपत गायकवाड की पत्नी सुलभा गणपत गायकवाड के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारना लगभग निश्चित है। उल्लेखनीय है कि यहां से शुरुआती दौर में विधानसभा चुनाव में गणपत गायकवाड निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं।

कल्याण पश्चिम विधानसभा सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र पवार चुनाव जीते थे। लेकिन भाजपा के ही अंदरूनी खेमेबाजी में २०१९ में यह सीट भाजपा ने खैरात में शिवसेना को दे दी। और वहां से शिवसेना शिंदे गुट के विश्वनाथ भोइर ने पिछ्ला चुनाव जीता है।

इस बार भाजपा के तरफ से एक बार फिर नरेंद्र पवार अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं। भाजपा के तरफ से ही पूर्व नगरसेवक वरुण पाटिल भी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात पिछले चुनाव में शिवसेना को महायुती गठबंधन में यह सीट शिवसेना को मिलने के बावजूद यहां से भाजपा के नरेंद्र पवार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था इस बार भी यही स्थिति उत्पन्न होने के आसार है

कल्याण डोंबिवली के चारों सीटों पर अगर महायुती के नेताओं ने यहां के अपने-अपने दल के नेताओं को अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया तो यहां से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को होने की पूरी संभावना है और यहां के चारों सीट पर भारतीय जनता पार्टी का सुपड़ा साफ होने के चिन्ह है।