Crime

और कितने सचिन वाजे और प्रदीप शर्मा हैं “सौ करोड़” वाली मुंबई पुलिस में ?

(कर्ण हिंदुस्तानी )
पूर्व पुलिस अधिकारी और अब शिवसैनिक प्रदीप शर्मा की इंटलिया मामले में गिरफ्तारी ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि पुलिस विभाग से निकलने के बाद भी प्रदीप शर्मा को खाकी वर्दी का मोह छोड़ नहीं रहा था और वह भी वाजे की मदद करने को तैयार हो गया।

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मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके परमवीर सिंह ने सौ करोड़ की वसूली का आरोप लगाकर राज्य के गृहमंत्री की कुर्सी खा ली। लेकिन सवाल फिर वहीँ है कि आखिर मुंबई पुलिस अपनी छबि खुद ही क्यों खराब करने में लगी है ?

किसी समय में मुंबई पुलिस को सबसे ज्यादा कर्तव्य का पालन करने वाली पुलिस माना जाता था। मगर आज की तारीख में मुंबई पुलिस को साज़िश रचने वाली और अपने गोरख धंधे में अड़चन डालने वाले की हत्या करने वाली पुलिस कहना पड़ रहा है।

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सभी जानते हैं कि मुंबई पुलिस में कुछ ऐसे अधिकारी शीर्ष पदों पर आज भी विराजित हैं जिनकी दौलत किसी टाटा – बिड़ला से कम नहीं है।

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कहाँ से आती है यह दौलत ? कौन कमाकर देता है यह दौलत ? मायानगरी के नाम से प्रसिद्द मुंबई को डांस बार की मुंबई बनाने में जितना हाथ महाराष्ट्र की अगली – पिछली सरकारों का रहा है उससे ज्यादा हाथ मुंबई पुलिस का रहा है।

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बे – रोकटोक असमाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम पुलिस की तरफ से अनंतकाल से चला आ रहा है। हर साल पुलिस वेलफेयर के नाम पर करोड़ों रूपये एकत्र किये जाते थे।

यह करोड़ों रूपये किसी सामान्य व्यक्ति से तो लिए नहीं जाते। यह रूपये बार मालिकों से , चरस – गांजा – अफीम और ड्रग्स बेचने वालों से ही लिए जाते थे।

जब वह चढ़ावा चढ़ा रहे हैं तो धंधा तो करेंगे ही। ऐसे में जब पुलिस को और खासकर वाजे जैसे पुलिस वाले को दुबारा राजनीतिक आशीर्वाद से खाकी वर्दी मिल जाती है तो स्वाभाविक है कि उसकी हिम्मत बढ़ेगी।

वह कुछ काम अपने राजनीतिक आका के कहने पर करेगा तो कुछ से थोड़ा आगे बढ़कर अपने खुद के लिए भी करेगा। ऐसा ही इंटालिया केस में भी हुआ और कथित रूप से बड़ी वसूली की खातिर उद्योगपति अम्बानी को धमकाने के लिए विस्फोटक का बंदोबस्त किया गया।

प्रदीप शर्मा जैसे को भी शामिल किया गया। हिरेन की गाड़ी भी ले ली गयी और काम फत्ते भी कर दिया गया। वाजे को पता था मामला उसी के पास आने वाला है। उसने हिरेन को भी आश्वासित कर दिया कि मैं खुद ही जाँच अधिकारी हूँ तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा।

अब यही बात प्रदीप शर्मा को भी पता थी कि मामले की जांच सचिन वाजे ही करेगा। इसलिए शर्मा भी शामिल होने से खुद को नहीं रोक पाए क्योंकि आखिर माल बड़ा मिलने वाला था।

मनसुख हिरेन का नाम सामने आने पर साज़िशकर्ताओं को लगने लगा कि इसकी वजह से सभी फंस सकतें हैं तो मनसुख हिरेन की हत्या कर दी गयी।

इसके बाद सबूत मिटाने का काम भी किया गया। मुंबई पुलिस आयुक्तालय में ख़ास मीटिंग्स हुईं और मामले को रफादफा करने की तैयारी भी हो गयी।

तभी केंद्रीय जांच दल मैदान में आ गया और सारा पासा पलट गया। एक के बाद एक छोटी गिरफ्तारियां होने लगीं।

सचिन वाजे को गिरफ्तार किया गया। जांच ने अपने हिसाब से गति पकड़ी और पिछले दिनों जब दो लोग गिरफ्तार किये गए तो पता चला कि इस काण्ड में प्रदीप शर्मा की भूमिका भी अहम है।

सो उनके यहां केंद्रीय जांच दल ने सुबह छह बजे छापेमारी की। तीन घंटे की कड़ी पूछताछ के बाद प्रदीप शर्मा सरकारी मेहमान बन गए।

अब फिर एक सवाल अधूरा रह जाता है और वह यह है कि आखिर वाजे को इतनी महत्वपूर्ण पोस्ट देने वाला कौन सा राजनीतिक व्यक्ति है ?

प्रदीप शर्मा को लखन भैय्या मर्डर केस से साफ़ निकालने वाला और फिर राजनीती में लाने वाला कौन है ? यदि अब यह सब नहीं रुका तो आने वाले समय में मुंबई पुलिस में कई सचिन वजे और कई प्रदीप शर्मा मिलते ही रहेंगे।

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