क्या लावारिस हैं ? डोम्बिवलिकर !
(कर्ण हिन्दुस्तानी )
हमेशा शांत रहकर अपनी दिनचर्या को अंजाम देने वाले डोम्बिवली वासियों को इन दिनों भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। शासन और प्रशासन दोनों की तरफ से हो रही लापरवाही के चलते डोम्बिवली के नागरिक लावारिस जैसे हो गए हैं। कहने को तो डोम्बिवली के विधायक राज्य सरकार में राजयमंत्री हैं मगर डोम्बिवली की समस्याओं को सुलझाने के बजाए उलझाने में ही ज्यादा लगे दिखते हैं। डोम्बिवली के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले स्टार कॉलोनी से बात शुरू करें तो आज लगभग एक वर्ष से स्टार कॉलोनी के नाले पर पुल बन रहा है मगर आज भी अधूरा है , नतीज़न व्यस्त समय में यातायात अवरुद्ध रहता ही है। कल्याण शील रोड की बात करना तो बेमानी ही है।
अब इस वक़्त डोम्बिवली के नागरिकों पर एक नया अन्याय होने को तैयार है। डोम्बिवली पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाला रेलवे लाइन के उपर वना पुराना उड़ान पुल २७ मई से बंद किया जा रहा है। कारण यह बताया जा रहा है कि पुल जर्जर हो गया है। अब डोम्बिवली वासियों को पूर्व से पश्चिम अथवा पश्चिम से पूर्व को यदि आना है तो ठाकुर्ली के नए और संकरे पुल का इस्तेमाल करना होगा। यानी कि जिस आवागमन के लिए एक दो मिनट लगते थे उस आवागमन में कितने घंटे लगेंगे कोई नहीं बता सकता।
बोलून नाही , करून दाखवतो ! कहने वाली पार्टी यानी कि शिवसेना के एकनाथ शिंदे ठाणे जिला के पालक मंत्री हैं , मगर उनको भी डोम्बिवली वासियों के दर्द का आभास नहीं है। डोम्बिवली जिसे केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने सबसे गलिच्छ शहर कहा था , सच में गलिच्छ ही नहीं नेताओं द्वारा सबसे उपेक्षित शहर बना कर रख दिया गया है।
मध्य रेलवे को उपनगरीय गाड़ियों के जरिए सबसे ज्यादा आय प्रदान करने वाला डोम्बिवली शहर रेलवे की नज़र में भी लावारिस ही है। रेलवे ने बिना कोई नियोजन किये कल्याण की तरफ का पादचारी पुल तोड़ दिया। पुल की हालत खस्ताहाल बताई गई और पुल तोड़ दिया गया। लेकिन यात्रियों की तकलीफों को ध्यान में रख कर परेल की तरह सेना की मदद से कामचलाऊ पुल का निर्माण नहीं किया गया।
डोम्बिवली शहर के मुख्य रास्तों की बात करें तो सड़कें चौड़ी नहीं हैं। मानपाड़ा रोड तो ऐसे है जैसे हर समय मेला लगा हुआ हो। डोम्बिवली मनपा के सामने इंदिरा गाँधी चौक में बीच रस्ते पर ही फालूदा और पानी पूरी वाले अपना कब्ज़ा जमाकर खड़े रहते हैं। डोम्बिवली वासियों को उपेक्षित रखने वाले शासन और प्रशासन के साथ साथ राजयमंत्री बन कर अपना रौब जमाने वाले स्थानीय विधायक को कब होश आएगी ? इसका कोई अता – पता नहीं है। डोम्बिवली के निवासी अब लोकसभा चुनावों के बाद आस लगाए बैठे हैं