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नरेन्द्र मोदी की साध्वी प्रज्ञा से नाराजगी, कही अटल – मोदी की “राजधर्म” जैसी नाराजगी तो नही ?

( राजेश सिन्हा )

आज लगभग हर अखवार की सुर्खिया में शनिवार को संसद भवन में (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) एन डी ए के नए चुने गए सभी सासदो से मुलाक़ात के दौरान नरेन्द्र मोदी भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से असहज ढंग से मिले है. इस घटना को अनेक समाचार पत्र में नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने अंतिम चरण के चुनाव प्रचार सभा में साध्वी प्रज्ञा को माफ नही करने की घोषणा पर अडिग होना बताया है. लेकिन बात चुनाव परिणामो की करे तो इन विवादों के बावजूद साध्वी की एक लाख से अधिक वोटो से जीत कुछ अलग स्थिति वयान कर रही है.

एक समय था जब अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधान मंत्री रहते नरेन्द्र मोदी को भी राष्ट्र धर्म निभाने की नसीहत देते हुए एक तरह से फटकार ही लगाई थी.और वो दिन और आज मोदी लगातार राजनैतिक शिखर चढ़ते हुए लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से देश के प्रधानमंत्री पद पर विराज मान हुए है. कही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साध्वी प्रज्ञा में देश का अगला नेतृasत्व तो नही ढून्ढ रही है

दक्षिण के सुपर स्टार माने जाने वाले वरिष्ठ फिल्म अभिनेता और मक्कल निधि मीएम पार्टी के प्रमुख कमल हसन ने देश का पहला आतंकवादी हिन्दू महात्मा गांधी के हत्या के आरोपी नाथूराम गोडसे को बताया. जिससे विवाद बढ़ गया और देश भर से अभिनेता कमल हसन के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आई. इसी कड़ी में भोपाल से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही साध्वी प्रज्ञा ने भी अपने मत रखे. जिसमे उन्होंने नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त कहा था. यह बात विवाद को जन्म देनी जैसी थी और जमकर विवाद हुआ. भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पहले साध्वी को फटकार लगाईं फिर मोदी ने अपने भाषण में साध्वी को सार्वजनिक रूप से कहा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को इस वक्तव्य के लिए कभी माफ़ नही क्र पायेंगे.

इतना कडा बयान मोदी ने क्यों दिए ये उनके राजनैतिक सलाहकार समझे, लेकिन साध्वी के इस बयान का भारतीय जनता पार्टी को ७ वे चरण के लोकसभा चुनाव में जमकर फायदा हुआ. इस बयान के कारण ही भोपाल से दिग्गज कांग्रेसी दिग्गी राजा को उनके गढ़ में साध्वी प्रज्ञा ने एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया बल्कि नाथूराम गोडसे देश का पहला आतंकवादी हिन्दू का बयान देने वाले अभिनेता कमल हसन की पार्टी मक्कल निधि मीएम के सभी उम्मीदवार हार गए.उनके अनेक उम्म्द्वारो को मिले मतों की संख्या उसी क्षेत्र नोटा में मिले मतो से भी कम थी.

अब देशभर के मतदाताओं ने किस विचारधारा को स्वीकार कर मतदान किया और किसे अस्वीकार किया यह प्रमाण के साथ चुनाव परिणामो में समझे जा सकते है. आज देश का हर संघी ( राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक) अपने आप को आहत महसूस करते है जब कांग्रेसी या अन्य विरोधी दलों के नेतागण विभिन्न टीवी चैनलों पर या फिर सार्वजनिक रूप से, उन्हें नाथूराम गोडसे से जोड़कर देशद्रोही करार देने की कोशिश करते है. जबकि साध्वी प्रज्ञा के साथ देश की जनता भी अब नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त मानने लगी है इसी का परिणाम है भोपाल से साध्वी प्रज्ञा की प्रचंड मतो से जीत.

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