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प्रधानमंत्री मोदी चला रहे हैं आवास योजना कार्यकर्ता करना चाहते हैं लोगों को बेघर !

(कर्ण हिंदुस्तानी )

डोम्बिवली -जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के गरीबों को घर देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना चला रहे हैं , वहीँ भारतीय जनता पार्टी के कुछ पदाधिकारी डोम्बिवली में लोगों को अपनी दबंगई से बेघर करने में लगे हुए हैं।

महाराष्ट्र के ठाणे जिला के डोम्बिवली शहर में बीजेपी के वरिष्ठ और कनिष्ठ पदाधिकारी यह घृणित कार्य करने में लगे होने की बात सामने आयी है। जिससे आम जनता बीजेपी से नाराज़ होती नज़र आ रही है।

विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक मामला डोम्बिवली के स्टार कॉलोनी क्षेत्र का है। यहां रहने वाले सुनील वर्मा नामक एक गरीब भेलपुरी बेचने वाले को ब्याज के मामले में साज़िश के तहत फंसा कर उसकी दूकान और मकान दोनों को हड़पने का प्लान बनाया जा रहा है।

इस मामले में एक जोहरी और बीजेपी का स्थानीय पदाधिकारी सुनील वर्मा को मानसिक और शारीरिक परेशान कर रहे हैं। जो क़र्ज़ वर्मा ने कभी लिया ही नहीं उस क़र्ज़ का वर्मा से जबरन ब्याज भरवाया जा रहा है।

इस मामले में वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखा।  प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस मामले को जांच करने का आदेश आया लेकिन ठाणे पुलिस आयुक्त से लेकर स्थानीय मानपाडा पुलिस ने भी कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा।  जबकि बीजेपी के पदाधिकारियो की शह पर जोहरी वर्मा की दूकान को हड़पने की साज़िश तैयार कर बैठा हुआ है।  मानपाडा पुलिस भी इस मामले में शांत है।

वहीँ एक अन्य घटना में डोम्बिवली के चार रास्ता के पास स्थित रोटरी हाल से लगकर एक पुरानी चॉल निवासी महिला यादव को बीजेपी पदाधिकारियों के इशारे पर और बिल्डर की शह पर  महिला बाउंसरों से बुरी तरह पीटा गया। लगभग एक माह पूर्व हुई इस पिटाई की वजह भी यह बताई जा रही है कि यादव नामक महिला ने औने- पौने दाम में अपनी चॉल को बिल्डर को देने से मना कर दिया था।  इस महिला की चॉल रोटरी क्लब हॉल के नज़दीक है।

जिस डोम्बिवली के विधायक को महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट में राज्यमंत्री का दर्ज़ा मिला हुआ है उसी डोम्बिवली में भाजपाइयों द्वारा लोगों को बेघर कर भूखंड हड़पने का प्रयास किया जा रहा है।

वहीँ एक मामले में तो भगवान भुजंग नामक एक व्यक्ति को एक डांस बार मालिक ने धीमा ज़हर देकर मारने की साज़िश रच डाली। इस मामले में भी बीजेपी के ही कुछ पदाधिकारियों का नाम अप्रत्यक्ष रूप से सामने आया था।

तीनों मामलों में पुलिस का मूक दर्शक बना रहना भी मिलीभगत का संकेत दे रहा है। सत्ता के नशे में चूर होकर जनता को सताने वालों के प्रति बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी क्या कदम उठाते हैं यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

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