जिसके पास प्रेम धन है, वह निर्धन नहीं हो सकता, अंधेरी में श्रीमद्भागवत कथा
शीतला प्रसाद सरोज
मुंबई। कथाकार राम बिहारी दास महाराज ने कहा कि जैसे रुई के घर को एक जलती हई माचिस की तीली जलाकर राख कर देती है, उसी प्रकार भागवतकथा इंसान के पापों को जला कर राख कर देती है। भागवतकथा सुनने से इंसान के सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
धार्मिक संस्था ‘देवी संतोषी माता रहिवासी सेवा मंडल’ की ओर से अंधेरी पूर्व के आंबेवाड़ी स्थित श्री संतोषी माता मंदिर परिसर में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में राम बिहारी दास महाराज ने संगीतमय भागवत कथा-पाठ की। कथा वाचक ने भगवान श्रीकृष्ण और उनके मित्र सुदामा की मित्रता का सविस्तार वर्णन किया।
कथाकार राम बिहारी दास महाराज ने बताया कि द्वारपाल ने द्वारिकाधीश से जाकर कहा, प्रभु द्वार पर एक गरीब ब्राह्मण आया है और आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। यह सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े-दौड़े खुद चले आए।
बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए। अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे।सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया को यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है, वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान है। इसमें कोई भेदभाव नहीं होता।
कथावाचक ने सुदामा चरित्र के अलावा राजा परीक्षित के मोक्ष, राजा नृग का उद्धार व कई अन्य भावपूर्ण कथाओं का भी वर्णन किया।
इस अवसर पर भरत जोशी, भानुमती जोशी, मंजू शुक्ला, रमेश शुक्ला, राजेश राजू शेलार, प्यारी यादव, राजू रावल, महेश मयूर शेलार, हरीश भानुशाली, समाजसेवी गणेश अग्रवाल, अरविंद जोशी, दिनेश प्रताप सिंह, द्वारिका प्रसाद मिश्रा, नरेंद्र प्रसाद उपध्याय, अमिता उपध्याय, हस्तीमल सुधास, कंकू बहन, महादेव पटेल, भगवती सुथार, रतन भाई मकवाना, बलवंत मकवाना सहित बड़ी संख्या में कथा प्रेमी उपस्थित थे।