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मौत का कुआं साबित हो रहा है, पिक-आवर में डोंबिवली से लोकल प्रवास

अक्सर मेले के जगह पर मौत का कुआं खेल के बारे में हम जानते हैं. जिसमें मोटरसाइकिल या फिर कार सवार अपनी जान पर खेल कर कुए जैसे आकार के बने गोल में मोटरसाइकिल या फिर कार में बैठकर तेजी से लगातार घूमते रहता है. खेल जोखिम भरा रहता है और इसमें वाहन चालक के जान जाने का डर बना रहता है इसीलिए इस खेल को मौत का कुआं नाम दिया गया है.

कुछ ऐसी ही स्थिति पीक आवर में डोंबिवली रेलवे स्टेशन से मुंबई के तरफ प्रवास करने वाले लोकल यात्रियों के लिए भी बन गई है यहां आए दिन लोकल से गिरकर यात्रियों की मौत होने की घटनाएं हो रही है। जबकि इस मामले में मध्य रेलवे प्रशासन समस्या हल करने के प्रयास पर काम करने की जगह ऐसी घटनाओं को आकस्मिक दुर्घटना घोषित कर अपने कर्तव्यों से मुक्ति पा लेती है।

कल सोमवार सुबह डोंबिवली निवासी महिला यात्री रिया राजगोरे ने सुबह 8:00 बजे डोंबिवली से लोकल पकड़ा. लेकिन लोकल में अत्यधिक भीड़ होने के कारण वह ट्रेन के अंदर नहीं जा पाई , और दरवाजे पर ही लटक कर खड़ी थी.

और कॉपर और दिवा रेलवे स्टेशन के बीच में वह ट्रेन से गिर गई. रेलवे पुलिस के अनुसार उसकी मौत लोकल से गिरने के तुरंत बाद हो गई. रेलवे पुलिस ने यह मामला आकस्मिक दुर्घटना का दर्ज कर अपने कर्तव्य से मुक्ति पा ली है.

कुछ इसी तरह की घटना छ दिन पूर्व यानि 23 अप्रैल को भी घटित हुई, जिसमें आईआईटी पटना से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर मुंबई में नौकरी कर रहे युवक अवधेश दुबे गत मंगलवार को सुबह की लोकल से डोंबिवली से मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के लिए तक प्रवास करने के लिए लोकल में सवार हुए. लोकल डोंबिवली के बाद दिवा स्टेशन पर रुकी और फिर मुंब्रा और कलवा रेलवे स्टेशन के बीच के रेलवे ट्रैक पर गिर जाने से युवक अवधेश की मौत हो गई।

अवधेश दुबे युवा थे, और अपने परिवार के लिए उनकी कमाई आधार स्वरूप थी. उनके परिजनों को अभी तक यह समझ नहीं आ रहा है की अवधेश डोंबिवली रेलवे स्टेशन पर लोकल में चढ़ा, लोकल ट्रेन दिवा रेलवे स्टेशन पर रुकी,और फिर ट्रेन में क्या हुआ कि अवधेश मुंब्रा और कलवा के रेलवे स्टेशन के बिच के ट्रैक पर गिर गया.

मृतक अवधेश के परिवार वालों ने जब इस बारे में स्थानीय जीआरपी के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तो रेलवे पुलिस के अधिकारियों ने इस बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं होने की बात कही।

मृतक अवधेश के परिजनों के अनुसार अवधेश के पास उसका अपना एक बैग था जिसे उसने अपने पीठ पर लटका रखा था. इसके साथ उसके पास अपना मोबाइल और मनी पर्स था जबकि जीआरपी ने बताया कि मृतक अवधेश के बॉडी के पास कोई बैग, मोबाइल या फिर मनी पर्स नहीं था. मृतक के परिजनों के अनुसार दुर्घटना होने के बाद किसी ने मृतक के पास से उसका बैग मनी पर्स और मोबाइल चुरा लिया.

लेकिन रेलवे पुलिस ने इस बारे में कोई तहकीकात करने की जरूरत नहीं समझी और अपने रिपोर्ट में मृतक के पास कोई सामान नहीं मिलने की जानकारी के साथ मृतक को लावारिस घोषित कर दिया था. लेकिन उसके परिजनों द्वारा लगातार पूछताछ और भाग दौड़ के बाद उन्हें मृतक अवधेश के कलवा अस्पताल में होने की जानकारी मिली।

मृतक अवधेश के बड़े भाई दीपक दुबे ने इस मामले में रेलवे पुलिस द्वारा लापरवाही बरतने और सही ढंग से जानकारी नहीं देने का आरोप लगाते हुए मध्य रेलवे के उच्च अधिकारियों तक इसकी शिकायत की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.