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उपराष्ट्रपति का राष्ट्री्य अनुसूचित जनजाति आयोग के स्थापना दिवस पर मंगलवार को व्याख्यान

राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजातिय आयोग (एनसीएसटी) की स्‍थापना 19 फरवरी 2004 को संविधान (89वां संशोधन) अधिनिम के माध्‍यम से की गई थी। यह आयोग 19 फरवरी 2019 को 15वां स्‍थापना दिवस मनाएगा। आयोग ने 31 दिसंबर 2018 को आयोजित अपनी 109वीं बैठक में इस दिवस को उत्‍साहपूर्वक मनाने का निर्णय लिया था। उपराष्‍ट्रपति =एम वैंकया नायडू ने 19 फरवरी 2019 को दिन में 11 बजे नई दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय मीडिया केंद्र में एनसीएसटी का प्रथम स्‍थापना दिवस व्‍यख्‍यान देने पर सहमति व्‍यक्‍त की है। स्‍थापना दिवस व्‍याख्‍यान का विषय ‘संविधान एवं जनजाति’ है। इस संबोधन के भारत के संविधान के विभिन्‍न कारकों पर ध्‍यान केंद्रित करने की संभावना है, जिसके कारण देश में अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष प्रावधानों का निर्माण किया गया, जिनमें पांचवीं और छठी अनुसूची के तहत राज्‍यों का निर्धारण शामिल है। व्‍याख्‍यान के भारतीय गणतंत्र के 69 वर्षों के दौरान संवैधानिक सुरक्षोपायों के कामकाज की समीक्षा पर भी ध्‍यान केंद्रित करने की संभावना है।

इस अवसर पर राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजातीय आयोग ने भी एक ‘एनसीएसटी नेतृत्‍व पुरस्‍कार’ नामक एक राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार का गठन करने का फैसला किया है,‍ जिसे देश में अनुसूचित जनजातियों की दिशा में उल्‍लेखनीय एवं अनुकरणीय सेवा के लिए प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्‍कार तीन श्रेणी में दिए जाएंगे अर्थात् (i) शैक्षणिक संस्‍थान/विश्‍वविद्यालय (ii) सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम/बैंक और (iii) किसी व्‍यक्ति विशेष, एनजीओ या सिविल सोसायटी द्वारा प्रदान की जाने वाली सार्वजनिक सेवा। इस वर्ष पहला पुरस्‍कार निम्‍नलिखित को प्रदान किया जाएगा: कलिंग सामाजिक विज्ञान संस्‍थान, भुवनेश्‍वर: किंडर गार्डेन से स्‍नातोकोत्‍तर स्‍तर तक ओडिशा एवं समीपवर्ती राज्‍यों के जनजातीय बच्‍चों की शिक्षा की दिशा में उनके उल्‍लेखनीय योगदान के सम्‍मान में। सेंट्रल कोल्‍डफील्‍ड्स लिमिटेड, रांची: झारखण्‍ड में अनुसूचित जनजातीय बच्‍चों के बीच खेल को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उनके उल्‍लेखनीय योगदान के सम्‍मान में। डा. प्रोणोब कुमार सिरकार, अंडमान आदिम जनजातिय समिति (एएजेवीएस) में जनजातीय कल्‍याण अधिकारी: अंडमान एवं निकोबार द्वीव समूह में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह में अर्थात् ओंगेस, शोमपेन्‍स, अंडमानी और जारवास की दिशा में उनके उल्‍लेखनीय योगदान के सम्‍मान में।

ये पुरस्‍कार उपराष्‍ट्रपति द्वारा 19 फरवरी 2019 को स्‍थापना दिवस समारोह में एक ‘उत्‍तरीय’ के साथ एक प्रशस्‍ति पत्र, एक पदक के रूप में प्रदान किया जाएगा। जैसा कि राष्‍ट्र ‘महात्‍मा के 150 वर्ष’ मना रहा है, राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अपनी स्‍थापना के 15 वर्ष मना रहा है। इस अवसर पर आयोग ने हिन्‍दी में ‘जनजातीय स्‍वाधीनता संग्राम’ नामक एक पुस्‍तक निकाली है। राष्‍ट्रपति द्वारा विमोचन की जाने वाली यह पुस्‍तक देश में जनजातीय लोगों के स्‍वाधीनता संग्राम के छोटे अज्ञात पहलुओं को सामने लाती है। यह पुस्‍तक स्‍वाधीनता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी विद्रोह के योगदान पर प्रकाश डालती है। इसमें शहीद वीर बुद्धू भगत, भगवान बिरसा मुंडा, तिल्‍का माझी, सिद्धू कान्‍हू, भुमकल गुण्‍डाधुर, क्रांतिवीर सुरेंद्र साई, कुंवर रघुनाथ साह, विरोधी तात्‍या भील, अमर शहीद वीर नारायण सिंह, परम बलिदानी गोविन्‍द गुरु एवं जनजाति वीरांगना महारानी दुर्गावती पर लेख शामिल हैं। यह भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नेतृत्‍व के अमूल्‍य योगदान और बाहादुरी को सामने लाने का आयोग का एक प्रयास है चूंकि किसी सी जनजातीय समारोह में सांस्‍कृतिक कार्यक्रम का आयोजन एक परंपरा है, इसलिए स्‍थापना दिवस समारोह भी गुजरात और राजस्‍थान के मवेशी भील नृत्‍य के रूप में समृद्ध जनजातीय विरासत प्रदर्शित करेगा। इसी के साथ-साथ 19 फरवरी 2019 को राष्‍ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्‍ली में स्‍थापना दिवस समारोह के अवसर पर भारत के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों पर एक दृश्‍य प्रदर्शनी भी भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण द्वारा प्रस्‍तुत की जाएगी।

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