भाजपा से झुनझुना लेकर नाच रहे हैं उत्तर भारतीय नेतागण
(मुंबई आसपास ब्यूरो )
लोकसभा , विधानसभा , मनपा , नपा और यहां तक कि ग्रामपंचायत चुनावों में बीजेपी का जमकर प्रचार करने वाले महाराष्ट्र के उत्तर भारतीय नेताओं को हर बार बीजेपी झुनझुना थमा देती है और यह सब इसी झुनझुने को लेकर खुश रहते हैं। अपने समाज में सीना तान कर चलने वाले उत्तर भारतीय नेतागण चुनाव आते ही पार्टी के वरिष्ठों के सामने दंडवत हो जाते हैं।
मुंबई के उत्तर भारतियों की बात करें तो इन दिनों अमरजीत मिश्रा नामक उत्तर भारतीय विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का प्रचार करते घूम रहे हैं। खुद को राजयमंत्री का दर्जा दिए जाने से मिश्रजी खुश हैं। जबकि उनको फिल्म सेंसर बोर्ड में एक पोस्ट बनाकर उपाध्यक्ष पद दे दिया गया है। इस पद से उनको कोई पद्मविभूषण नहीं मिल गया है। यदि अमरजीत मिश्रा इन विधानसभा चुनावों में कहीं से टिकिट की मांग करेंगे तो उनको आश्वाशन के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। इसी तरह एक और उत्तर भारतीय हैं
, इनका नाम है आर एन सिंह , इनकी काबलियत को नजरअंदाज कर इनके धन को देखकर बीजेपी ने सिंह को विधानपरिषद में भेजा है। आज अगर पूछा जाए कि आर एन सिंह की बीजेपी में क्या जगह है ? तो पता चलेगा कि शून्य ! मौजूदा मंत्रीमंडल में राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत विद्या ठाकुर ने शिवसेना के दिग्गज नेता सुभाष देसाई को पराजित किया था। उस हिसाब से उनको केबिनट में लेना चाहिए था।
मगर राजयमंत्री बनाकर बीजेपी ने बता दिया कि उसके लिए उत्तर भारतीय नेताओं के लिए ख़ास जगह नहीं है। बीजेपी में एक समय में कद्दावर नेता रह चुके अभिराम सिंह को भी बीजेपी ने हाशिये पर फेंक दिया था। मुंम्बई मनपा में उपमहापौर रह चुके राजेश शर्मा ने भी बीजेपी उपेक्षा के कारण ही छोड़ी थी। अब इन चुनावों में भी बीजेपी अपनी रणनीति के तहत उत्तर भारतियों को इस्तेमाल करने में लगी है और चुनावों के पहले पुचकारेगी बाद में किसी उत्तर भारतीय नेता के हाथ कुछ नहीं आएगा।
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