कल्याण रेलवे स्टेशन पर भ्रष्ट्राचार का बोलबाला,रेलवे प्रशासन शुस्त
कल्याण रेलवे स्टेशन पर बिना दलाल की मदद से आरक्षण आरक्षित टिकट मिलना दुर्लभ है. चालू टिकट काउंटर पर टिकट काट रहे क्लार्क को 20 से 50 रुपये अधिक दिए उत्तर भारत की तरफ जाने वाली गाड़ियों का अनारक्षित टिकट मिलना असंभव है. इसी तरह उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनों के अनारक्षित डिब्बों में बिना कुली या आरपीएफ और जीआरपी के जवानों को 200 से 500 रुपये दिए डिब्बे में सीट पाना नामुमकिन है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कल्याण रेलवे स्टेशन पर हर तरफ अराजकता का माहौल है. एक तरफ जहा रेलवे सुरक्षा बल के जवान वैध यात्रियों से जबरन वसूली करने से नहीं हिचक रहे हैं. वहि रेल प्रशासन इस बारे में उदासीन रवैया अपनाता रहा है
ज्ञात हो की महानगर मुंबई के मुहाने पर स्थित कल्याण रेलवे स्टेशन पर यात्री उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, आसाम, पश्चिम बंगाल जाने के लिए दूर-दूर से आते हैं जिसमें पनवेल, नवी मुंबई ठाणे, भिवंडी, उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर के निवासी शामिल है। मध्य रेलवे के लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बाद सबसे ज्यादा आय देने वाला यह कल्याण रेलवे स्टेशन पर आवश्यकता से अधिक भीड़ रहती है।
लेकिन इस बारे में रेलवे के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी वर्षों से ढुलमुल रवैया अपनाए रखे है और यात्रियों के साथ अवैध वसूली व दुर्व्यवहार की अनेक शिकायतों के बावजूद रेलवे प्रशासन इस मामले में कभी ना तो गम्भीर दिखी ना कभी इसके विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई की है.
कल्याण रेलवे के आरक्षण केंद्र पर दलालों का जमावड़ा की शिकायत वर्षों से है. रेलवे प्रशासन दिखावे के लिए महीने 2 महीने में 1 – 2 दलालों पर कार्रवाई करके महज खानापूर्ति कर देती है. लेकिन आज भी इस आरक्षण केंद्र पर यात्रियों को बिना दलाल के आरक्षित टिकट मिलना साक्षात भगवान से दर्शन होने जैसा माना जाता है।
लंबी दूरी की गाड़ियों के अनारक्षित टिकट के लिए टिकट काउंटर पर टिकट बाबू द्वारा आने वाले सभी यात्रियों से टिकट पर अंकित मूल्य से 20 से 50 रुपये अधिक लेने की शिकायत भी वर्षों से है रेलवे प्रशासन भी गाहे-बगाहे कार्रवाई का दिखावा करता है लेकिन अवैध वसूली में अभी तक कोई कमी नहीं आने अनेक यात्री की शिकायत आज भी बनी हुई है.
उत्तर भारत की तरफ जाने वाली मेल एक्सप्रेस गाड़ियों के अनारक्षित डब्बे में सीट पाने के लिए यात्रियों से कुली, आरपीएफ, जीआरपी द्वारा 200 से 500 रुपये अवैध रूप से वसूल किए जाने की शिकायत भी वर्षों से है. इस बारे में भी रेल प्रशासन लगातार बड़े-बड़े दावे करता है. बावजूद इसके अनारक्षित डिब्बो में प्रवेश के नाम पर कुली आरपीएफ जीआरपी द्वारा अवैध वसूली की शिकायत लगातार मिलती रहती है।
ताजा मामला तो अजीबोगरीब है कल्याण रेलवे स्टेशन से 12:40 पर उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेन पवन एक्सप्रेस में अपने रिश्तेदार को चढ़ाने के लिए डोंबिवली निवासी अक्षय लाल अपने भाई के साथ गए थे उनके पास वैध प्लेटफार्म टिकट भी था।
लेकिन ट्रेन छूटने के दौरान अक्षय लाल ट्रेन से उतर नहीं पाए और ट्रेन थोड़ी गति पकड़ने के बाद वे उतरे. जिसे देख रहे वहां खड़े आरपीएफ के जवान पटेल ने उन्हें पकड़ लिया और पहले उनसे प्लेटफॉर्म टिकट माँगा, और प्लेटफॉर्म टिकट होने के बावजूद उन्होंने इस प्लेटफॉर्म टिकट पर ट्रेन में चढ़ने को गैरकानूनी बताते हुए कल्याण के आरपीएफ ऑफिस में ले गए और जुर्माना भरने के का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
इस बारे में रेलवे मंत्री के साथ रेलवे के विभिन्न वरिष्ठ अधिकारियों तक शिकायत की गई. तब जाकर अक्षय लाल को आरपीएफ हवलदार पटेल ने छोड़ा. इस मामले में रेलवे प्रशासन की भ्रष्ट नीति साफ दिखी. रेलवे मंत्रालय तक शिकायत करने के बाद रेलवे के तरफ से ही अक्षय लाल को उसके मोबाइल पर एक मैसेज आया जिसमें उनकी शिकायत दर्ज होने की बात कही गई और उन्हें शिकायत नंबर भी भेजा गया.
लेकिन जब आरपीएफ ने उन्हें छोड़ दिया तो उन्हें यह भी मैसेज आया की आपकी शिकायत खत्म हो गई। जबकि रेलवे प्रशासन ने आरपीएफ जवान के साथ क्या कार्रवाई की इस बारे में अक्षय लाल को कोई सूचना नहीं दी गई. इसी से साफ जाहिर होता है रेलवे प्रशासन स्टेशन पर कार्यरत गैर जिम्मेदार और भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई करने में लगातार कोताही बरतता है.