IVPA ने ग्लोबल राउंडटेबल 4.0 का सफल समापन किया; खाद्य तेल उद्योग की दो प्रमुख मांगों को दोहराया
इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने अपने स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में अपनी प्रमुख वार्षिक संगोष्ठी ग्लोबल राउंडटेबल 4.0 का आयोजन 24–25 जुलाई को नई दिल्ली में किया। “नविगेटिंग टेक्टॉनिक ग्लोबल शिफ्ट्स” थीम पर आधारित इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में वैश्विक उद्योग विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और वनस्पति तेल मूल्य श्रृंखला के वरिष्ठ नेतृत्व सहित सभी हितधारकों ने भाग लिया।
गहन विचार-विमर्श के बाद, IVPA ने भारत के किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता से जुड़े दो अहम नीतिगत मुद्दों पर जोर दिया:
1. नेपाल के माध्यम से ड्यूटी-फ्री आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान:
IVPA ने रेखांकित किया कि नेपाल से शून्य शुल्क पर परिष्कृत तेलों का आयात उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत के बाजारों को भर रहा है। इससे न केवल घरेलू प्रसंस्करण इकाइयों को नुकसान हो रहा है बल्कि किसानों को मिलने वाले दामों पर भी दबाव बन रहा है, साथ ही उत्पादन इकाइयों की उपयोगिता में भी गिरावट आई है। एसोसिएशन ने इस पर तत्काल नीति की समीक्षा और प्रभावी प्रवर्तन की मांग की। एक समाधान के रूप में, इस तरह के शुल्क-मुक्त आयात को नाफेड या अन्य राज्य एजेंसियों के माध्यम से नियंत्रित (canalise) करने का सुझाव दिया गया।
2. खाद्य तेलों के लिए मानकीकृत पैक आकारों की पुनः स्थापना:
IVPA ने सरकार से आग्रह किया कि खाद्य तेलों के लिए मानक पैक आकारों को फिर से लागू किया जाए। बाजार में उपलब्ध विभिन्न पैक आकारों से उपभोक्ताओं में मूल्य निर्धारण को लेकर भ्रम की स्थिति बनती है, जिसे दूर करने के लिए यह कदम आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने IVPA को दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एसोसिएशन के 50 वर्षों के योगदान की सराहना करते हुए विशेष संदेश में इसे देश के खाद्य तेल व तिलहन क्षेत्र को आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाने वाला सशक्त मंच बताया। उन्होंने इसके नीति-निर्माण, नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने वाले प्रयासों की सराहना की।
सम्मेलन की प्रमुख विषय-वस्तु:
ग्लोबल राउंडटेबल के दौरान वैश्विक आपूर्ति बाधाएं, खाद्य सुरक्षा, सतत सोर्सिंग और भारत की तिलहन-तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता व मूल्यवर्धन की रणनीति पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने आगामी दशक के लिए वैश्विक व्यापार परिवर्तनों, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और आवश्यक नीतिगत ढांचों पर मंथन किया।
सम्मेलन से निकले निष्कर्ष:
पाम तेल की कीमतें स्थिर बनी रह सकती हैं और यह सोया तेल की तुलना में सस्ता रहेगा।
भारत में सरसों की कीमतों में तेजी सरकार द्वारा कुछ भंडार जारी करने के संकेत के बाद ठंडी पड़ सकती है।
ब्लैक सी क्षेत्र में सूरजमुखी की नई फसल सामान्य हो सकती है, जिससे वैश्विक कीमतों में नरमी आएगी।
जैव ईंधन को लेकर वैश्विक मांगों को देखते हुए भारत को तिलहनों के लिए प्रोत्साहनयुक्त न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास जारी रखने चाहिए।
नेतृत्व और संचालन:
इस कार्यक्रम का नेतृत्व IVPA के अध्यक्ष श्री सुधाकर देसाई ने किया, जबकि उपाध्यक्ष श्री वी. के. जैन, श्री अमरेन्द्र मिश्रा, सुश्री भावना शाह, श्री धृतिमान बिस्वास और महासचिव श्री एस. पी. कामरा ने रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया।
IVPA भारत के खाद्य तेल क्षेत्र में लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, विचारशील नीति संवाद और समावेशी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

