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डॉ पायल आत्महत्या मामला, हत्या हो या आत्महत्या, दोषियों पर कड़ी कारवाई होनी चाहिए.

मुंबई के प्रसिद्ध नायर अस्पताल की मेडिकल की दुसरे वर्ष के प्रशिक्षु छात्रा डा पायल तडवी की आत्महत्या का रहस्य गहराता ही जा रहा है एक तरफ जहा मृतिका डा पायल के गले में चोट के निशान पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में होने का दावा कर सरकारी पक्ष के वकील इसे ह्त्या का मामला साबित करने की कोशिश कर रहे है वहि बचाव पक्ष का लगातार प्रयास है की मामला कही से भी ह्त्या का ना बने.इन सब परिस्थितियों के बावजूद अनेक सबूत ऐसे भी सामने आ रहे है जिसमे साफ़ पता चल रहा है कि भले ही पायल की हत्या नही हुई है लेकिन उसके आत्महत्या के लिए ये तीनो आरोपी डाक्टर ही जिम्मेदार है.

ज्ञात हो कि नायर हॉस्पिटल में स्त्री व् प्रसूति रोग विशेषज्ञ की दुसरे वर्ष की पढ़ाई कर रही छात्रा डा पायल तडवी ने हफ्ते भर पहले आत्महत्या कर ली थी.और मरने के पहले मृतक डा तडवी ने रोते हुए अपनी माँ को फोन कर अपने ही अस्पताल के तीन सहयोगियों द्वारा लगातार प्रताड़ित किये जाने की बात कही थी. जिसमे उसने डा. हेमा आहुजा, डा. भक्ती माहेरे और डा. अंकिता खान्डेलवाल का नाम लिया था. इसी आधार पर मृतिका की माँ ने पुलिस को उक्त तीनो डाक्टरों को नामजद किया था.

अनेक दवाव के बावजूद मुंबई पुलिस ने इस मामले में उक्त तीनो आरोपी डाक्टरों को गिरफ्तार कर न्यायलय में पेश किया जहा इन तीनो आरोपी डाक्टर को न्यायलय ने ३१ जुलाई तक की पुलिस हिरासत में भेजने का निर्णय दिया है. कोर्ट में इन आरोपियों के पेशी के दौरान पब्लिक प्रोसिकयूटर वीणा शेलार ने दलील देते हुए अदालत में मृतिका पायल के गले में चोट के निशान पोस्टमार्टम रिपोर्ट में होने का व्योरा दिया. इसके साथ तीनो डाक्टर आरोपियों द्वारा मृतिका की ह्त्या किये जाने का संदेह व्यक्त करते हुए अनेक दलील दी. और संदेह व्यक्त किया की मरने के बाद पायल के डेड बॉडी को खी और भी ले जाया गया और इन्ही तीनो आरोपियों ने मृतका का सुसाइड नोट भी गायब किये जाने की शंका व्यक्त की.

आरोपियों में से एक के वकील संदीप बाली ने न्यायालय के समक्ष पुलिस पंचनामा का डिटेल रखा जिसमे मृतिका के आत्महत्या के बाद हॉस्टल का दरबाजा अंदर से बंद होने, और मृतिका के रूम में कोई नही होने का साफ़ साफ़ जिक्र है और इसी आधार पर मामला कही से भी हत्या का नही बनने का दावा वकील संदीप बाली ने न्यायलय के समक्ष किया.

दोनों पक्षों की दलीलों के मद्देनजर मामला कुछ भी हो लेकिन मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार मुंबई मिरर की खबर के अनुसार मृतका पायल ने मरने के पहले अपने परिजन और दोस्तों से किये गए व्हाट्सअप चैट में यह साफ़ दिखता है की पायल अपने सीनियर छात्रों से गंभीर रूप से प्रताड़ित हो रही थी.

                                                                         फोटो – साभार – मुंबई मिरर

उसे गंदे और अपमानित करने वाले शब्दों से बुलाया जाता था. और उसे मेडिकल की पढाई भी ठीक ढंग से नहीं करने दिया जारहा था. उसने अपने दोस्तों को दुसरे वर्ष के सात महीने होने के बावजूद स्थिति सामान्य नही होने की बात लिखी थी. और अंत में अपनी माँ को फोन करके उन तीनो अआरोपी डाक्टर के कारण आत्महत्या करने की कहकर उसने आत्म हत्या कर ली थी.

मामला हत्या का हो या आत्महत्या का ये सब न्यायलय और पुलिस तय करेगी लेकिन समाज के इन रागिंग, मेडिकल जैसी पढ़ाई में सहयोगी छात्र छात्राओं को जाती के नाम पर प्रताड़ित करना भद्दी भद्दी गालिया देना जैसी कुरीतियों पर अंकुश लगना आवश्यक है. वरना अनेको बंदिशे तोड़ कर कोई छात्र छात्रा मेडिकल की पढ़ाई शुरु करता है तो उसकी इस शुरुवात के साथ उस घर में, पास पड़ोस में, बस्ती मुहल्ले में एक अच्छा संदेश जाता है लेकिन यही छात्र छात्रा समाज की इन कुरीतियों के कारण आत्महत्या कर लेते है तो समाज पर क्या दुष्परिणाम होंगे यह समझा जा सकता है.

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