अमेठी की जीत के सूत्रधार की हत्या और भोपुओं की चुप्पी !
(कर्ण हिन्दुस्तानी )
गौवंश को बचाने के लिए कुछ युवक यदि तैश में आकर किसी को दो तमाचा जड़ देते हैं तो देश भर के साहित्यकार , टुकड़े – टुकड़े गैंग के सदस्य किसी रुदाली की तरह रोना शुरू कर देते हैं , किसी व्यक्ति को यदि कोई व्यक्ति गोली मार देता है तो उसे पाकिस्तान से जोड़कर देखा जाने लगता है मगर जब अमेठी में ऐतिहासिक जीत के बाद किसी बीजेपी के कर्मठ कार्यकर्ता की हत्या कर दी जाती है तो कहीं कोई हंगामा नहीं होता। किसी के आँख से आंसू नहीं निकलते।
केरल में और पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सरेआम मार दिया जाता है मगर सबकुछ शांत रहता है। क्या बीजेपी का काम करना अमेठी , केरल और पश्चिम बंगाल की नज़र में अपराध है ? यदि ऐसा ही है तो जिसे हिन्दू धर्म में माता का दर्ज़ा दिया गया है उस गौ माँ को खाने के लिए मार देने वालों को मारने वाले भी अपराधी नहीं हैं। बीजेपी की केंद्र में दुबारा वापसी से देश के कुछ लोगों के पेट में भारी मरोड़ उठने लगे हैं। ऐसे लोगों को हमेशा के लिए ठीक करने के लिए ही सुधि मतदाताओं ने मोदी जी को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का जनादेश दिया है।
सबका साथ – सबका विकास करने की बात मोदी सरकार करती है तो सबको न्याय की बात भी होगी। यदि कोई न्याय का मजाक उड़ाते हुए किसी पार्टी के दफ्तर पर पल भर में कब्ज़ा करने की बात करेगा तो अब उसको भी जवाब दिया जाएगा। बात बात पर धमकी भरी राजनीती करने वालों को अब सबक सिखाने का समस्य आ गया है। सुरेंद्र सिंह की हत्या के आरोपियों को सलाखों के पीछे धकेलने के साथ – साथ इन आरोपियों के बाप को भी सलाखों के पीछे धकेलने का काम किया जाएगा।
लोकतंत्र को अपनी रखैल समझने वालों को अब तवायफ के कोठे पर घुंघरू बाँध कर नचाने का समय करीब आ गया है। केरल , पश्चिम बंगाल और अब अमेठी में हुई बीजेपी के कार्यकर्ता की हत्या के साज़िश कर्ताओं को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। खुद अमेठी की नवनिर्वाचित सांसद ने संकल्प लिया है कि सुरेंद्र सिंह के हत्यारों को पाताल से भी ढूंढ लिया जाएगा। मगर मुख्य बात यह है कि सुरेंद्र सिंह की हत्या के बाद सेक्युलर भोंपू लेकर घूमने वाले चुप क्यों हैं ? क्या अब अमेठी में , केरल में और पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खतरे में नज़र नहीं आता है।