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इंदिरा गांधी की नसबंदी योजना की तरह ही मोदी सरकार का ट्रैफिक नियम

ट्रैफिक नियम की समीक्षा नहीं की तो सरकार के लिए गले का फांस बन सकता है
शीतला प्रसाद सरोज
मुंबई। 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू किया गया नसबंदी कानून जैसे लोगों के लिए आफत बन गया था, ठीक उसी तरह मोदी सरकार के लागू किए गए ‘मोटर व्हीकल ऐक्ट 2019’ से आज लोग भयभीत दिखाई दे रहे हैं. इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू किया गया नसबंदी कानून तो बैक फायर कर गया और नतीजा हुआ कि 1977 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनने के पीछे नसबंदी के फैसले को भी एक बड़ी वजह माना गया. कहीं ऐसा न कि जैसे इंदिरा गांधी द्वारा लागू किया गया नसबंदी कानून उन पर ही भारी पड़ गया, उसी तरह मोदी का लागू किया गया ‘मोटर व्हीकल ऐक्ट 2019’ भाजपा सरकार के गले का फांस न बन जाए. समय रहते अगर सरकार ने अपने इस नए ट्रैफिक नियम की समीक्षा नहीं की तो भविष्य में इस नियम के परिणाम उसके लिए भारी पड़ सकते हैं. देश की जनता जिस मुद्दे को लेकर एक बार गांठ बांध लिया तो फिर उसे चुनाव में ही खोलेगी.
गौरतलब है कि 25 जून 1975, इस तारीख को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन कहा जाता है. इसी तारीख को देश में आपातकाल लागू किया गया और जनता के सभी नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे. इस फैसले के बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के लिए सब कुछ पहले जैसा नहीं रहा और पहली बार उनके खिलाफ एक देशव्यापी विरोध पनपने की शुरुआत हुई. आपातकाल ने देश के राजनीतिक दलों से लेकर पूरी व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, लेकिन उस वक्त लिए गए नसबंदी जैसे सख्त फैसले ने इसे राजनीतिक गलियारों से इतर आमजन के निजी जीवन तक पहुंचा दिया. जनता के अधिकार पहले ही छीने जा चुके थे फिर नसंबदी ने घर-घर में दहशत फैलाने का काम किया.
नसबंदी का फैसला इंदिरा सरकार ने जरूर लिया था लेकिन इसे लागू कराने का जिम्मा उनके छोटे बेटे संजय गांधी को दिया गया. स्वभाव से सख्त संजय ने नसबंदी को लागू करने के लिए जैसी सख्ती उन्होंने दिखाई उससे देश के कोने-कोने में उनकी चर्चा होने लगी. आजादी के बाद जनसंख्या विस्फोट से निपटना कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी.
इस दौरान घरों में घुसकर, बसों से उतारकर और लोभ- लालच देकर लोगों की नसबंदी की गई. एक साल के भीतर देशभर में 60 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी कर दी गई, जिनमें 16 साल के किशोर से लेकर 70 साल के बुजुर्ग और विक्षिप्त लोग तक भी शामिल थे. यही नहीं गलत ऑपरेशन और इलाज में हुई लापरवाही की वजह से करीब दो हजार लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी. संजय गांधी का ये मिशन जर्मनी में हिटलर के नसंबदी अभियान से भी ज्यादा कड़ा था, जिसमें करीब 4 लाख लोगों की नसबंदी कर दी गई थी.
गांधी का सभी सरकारी महकमों को साफ आदेश था कि नसंबदी के लिए तय लक्ष्य को वह वक्त पर पूरा करें, नहीं तो तनख्वाह रोककर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस काम की रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री दफ्तर को भेजने तक के निर्देश दिए गए थे. साथ ही अभियान से जुड़ी हर बड़ी अपडेट पर संजय गांधी खुद नजरें गड़ाए हुए थे. ऐसी सख्ती से लेट- लतीफ कही जाने वाली नौकरशाही के होश उड़ गए और सभी को अपनी नौकरी बचाने की पड़ी थी. लेकिन संजय का यह दांव बैक फायर कर गया और 1977 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनने के पीछे नसबंदी के फैसले को भी एक बड़ी वजह माना गया.
मोदी सरकार का लागू किया गया ‘मोटर व्हीकल ऐक्ट 2019’ आज इंदिरा गांधी की नसबंदी कानून की याद दिला रहा है। और इस कड़े कानून के विरुद्ध में लोगों की उग्र प्रतिक्रियाा भी देखने को मिल रही है

‘मोटर व्हीकल ऐक्ट 2019’ लागू हो गया है, जिससे ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को भारी जुर्माना भुगतना पड़ेगा.
नए नियमों के तहत-
• नाबालिग के गाड़ी चलाने पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा और नाबालिग का ड्राइविंग लाइसेंस 25 साल से उम्र तक नहीं बनेगा.
•बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाने पर 500 से 1500 रुपये का जुर्माना, पहले ये 100 से 300 रुपये था.
• दुपहिया वाहन पर तीन सवारी बैठाने पर जो जुर्माना पहले 100 रुपये था अब वो 500 रुपये हो गया है.
•पॉल्यूशन सर्टिफ़िकेट न होने पर पहले 100 रुपये भरने पड़ते थे अब 500 रुपये देने होंगे.
• बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाते पाए जाने पर अब 500 की जगह 5000 रुपये देने होंगे.
•ख़तरनाक ड्राइविंग करने पर अब एक हज़ार की बजाए 5 हज़ार रुपये देने होंगे.
•ड्राइविंग के दौरान फ़ोन पर बात करने पर 1 हज़ार की जगह 5 हज़ार रुपये तक भरने पड़ेंगे.
•गलत दिशा में ड्राइविंग करने पर अब 1100 के बजाए 5 हज़ार रुपये तक देने होंगे.
•रेड लाइट जंप करने पर पहले जो जुर्माना सिर्फ़ 100 रुपये था अब वो 10 हज़ार हो गया है.
•सीट बेल्ट लगाए बिना गाड़ी चलाने पर अब 1 हज़ार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा.
•शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना अब 10 हज़ार हो गया है.
• इमरजेंसी गाड़ियों जैसे एंबुलेंस और दमकल की गाड़ियों को साइड न देने पर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना देना होगा.

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