क्यों राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एकसाथ नहीं आ पाए ?
( राजेश सिन्हा )
१५ दिन पहले जहां एक तरफ राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस में फूट की जोरदार चर्चा रही, वहि दूसरी तरफ राज्य के उद्धव बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में गठबंधन होने की भी चर्चा जोर शोर से रही। लेकिन अब यह चर्चा पर पूर्ण विराम लग गया है। दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ स्तर के नेताओ ने अपने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सख्त हिदायत दी है कि पार्टी कार्यकर्ता यूबीटी सेना और मनसे मे गठबंधन विषय पर बैनर पोस्टर और बयान बाजी ना करे।
ज्ञात हो कि पिछले अनेक वर्षों से समय-समय पर यूबीटी और मनसे इन दोनों दलों के नेतागण राज्य में मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में गठबंधन हो इसके लिए सार्वजनिक रूप से बैनर पोस्टर बाजी के साथ जमकर बयानबाजी भी करते रहे हैं. लेकिन 15 दिन पहले यह मामला जोर शोर से चलने लगा, राज्य भर के विभिन्न शहरों में दोनों दल एक साथ आने की कार्यकर्ताओं की मांग का पोस्टर लगने लगा.
कार्यकर्ताओं की मांग पर दोनों दलों के वरिष्ठ नेता भी सक्रिय हुए, पहल मनसे के एक नेता ने की और जाकर यूबीटी शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राऊत से मिलकर गठबंधन के लिए आगे आने की बात रखी। फिर यूवीटी शिवसेना के तरफ से भी संजय रावत ने भी सकारात्मक जवाब दिया. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस बारे में किसी भी तरह के नकारात्मक जवाब नहीं दिए थे। अपने पत्रकार परिषद मे उन्होंने यह साफ कर दिया कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे और यूबीटी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे दोनों भाई हैं और इस विषय पर वे दोनों जब चाहे तब फोन कर एक दूसरे से बात कर सकते हैं.
UBTशिवसेना के सांसद राउत के इस सकारात्मक पहल के बाद न जाने, ऐसी क्या परिस्थितियां बनी की इसके अगले दिन ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मंत्रालय में जाकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की, जिससे यह साफ संदेश गया कि मनसे – शिवसेना से गठबंधन करने के लिए सकारात्मक नहीं है। और इसके तीसरे दिन ही मनसे प्रमुख ने अपने कोंकण दौरे में आयोजित पत्रकार परिषद में यह साफ कर दिया कि वे राज्य में किसी भी दल से गठबंधन करने के लिए इच्छुक नहीं है।
राज्य में १५ -२० दिन से मनसे और यूबीटी सेना में गठबंधन की जोरदार चर्चा हुई और दोनों दलों के नेता इस मामले में सकारात्मक दिखे, दोनों दलों के नेता ने इसके विरोध में कोई बयानबाजी नहीं की और अब मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने यह साफ कर दिया कि वे राज्य में किसी भी दल से गठबंधन को इच्छुक नहीं है.
राजनीतिक हलकों में इन घटनाक्रमों पर तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। अनेक कयासों के बीच एक बात जो सबसे ज्यादा चर्चा में आ रही है वह यह है, कि राज्य में गठबंधन के लिए मनसे और यूबीटी सेना दोनों इच्छुक थी। लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे, जहां उद्धव बालासाहब ठाकरे की शिवसेना को राज्य में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से पूरी तरह से अलग होने की शर्त रखी।
वही यूवीटी शिवसेना राज ठाकरे को राज्य के महाविकस आघाडी गठबंधन में शामिल होने की शर्त रखी थी जोकि मनसे प्रमुख राज ठाकरे को मंजूर नहीं था और इसीलिए दोनों दोनों दल के नेता अपने अपने रास्ते हो लिए ।