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मुख्यमंत्री ने खुद किया बचाव कार्य का नेतृत्व ! – उद्ध्वस्त बस्ती में पहुंचे

मुंबई, दि. 20
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्होंने बुधवार शाम विधान भवन में काम खत्म करने के बाद नियंत्रण कक्ष से राज्य में भारी बारिश की समीक्षा की, आज सुबह भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी पहुंचे और बचाव अभियान का नेतृत्व किया।

मुख्यमंत्री किले की तलहटी में नहीं रुके बल्कि वास्तविक उद्ध्वस्त बस्ती तक चढ़ गए और पूरे बचाव अभियान का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। तेज बारिश में बिना आराम किए रेनकोट पहने मुख्यमंत्री को देख अधिकारी और कर्मचारी भी दंग रह गए।

दिलचस्प बात यह है कि आज विधानमंडल सत्र का चौथा दिन है। हालांकि, घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने दोनों उपमुख्यमंत्रियों को काम की जिम्मेदारी सौंपी और खुद को बचाव कार्य में लगा दिया। सफ़ेद शर्ट और पैंट पहने मुख्यमंत्री आज एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह लग रहे थे। मुख्यमंत्री भारी बारिश में इरशालवाड़ी की ओर चढ़ने लगे। कीचड़ भरे रास्ते पर चलते हुए वे बस्ती तक पहुंचे।

मुख्यमंत्री शिंदे गुरुवार सुबह करीब छह बजे वर्षा आवास से घटना स्थल के लिए निकले। वे करीब साढ़े सात बजे वहां पहुंचे। इरशालगढ़ की तलहटी में बसे गांव में बेस कैंप बनाने के बाद मुख्यमंत्री न केवल हिदायतें देकर चले गए, बल्कि इलाके के औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिकों से मदद की अपील भी की। इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला। दोपहर करीब एक बजे मुख्यमंत्री भारी बारिश के बीच पैदल ही निकल पड़े। उन्होंने करीब डेढ़ घंटे की दूरी पैदल तय कर दुर्घटनास्थल तक पहुंचने का फैसला किया। विपरीत मौसम और कठिन चढ़ाई को पार करते हुए मुख्यमंत्री शिंदे एक-एक मंजिल चढ़ते जा रहे थे और ग्रामीणों से चर्चा कर रहे थे।
वह लगातार केंद्रीय गृह मंत्री, वायु सेना के अधिकारियों, पर्यावरणीय सामाजिक और पर्वतीय संगठनों, पर्वतारोहण संगठनों से बात कर रहे थे और देख रहे थे कि संरक्षण के लिए और क्या किया जा सकता है। उन्होंने राहत कार्य में तेजी लाने के लिए हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल का भी सुझाव दिया।

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