धर्म-परिवर्तन के विरोध में उल्हासनगर में सिंधी समाज और हिन्दुत्वनिष्ठों का संगठित आंदोलन
धर्म-परिवर्तन करनेवाले ईसाई मिशनरियों को रोकने का एकत्रित निर्धार !
उल्हासनगर – ईसाई मिशनरियों की प्रलोभन देकर धर्म-परिवर्तन करने की गतिविधियां दिन-प्रतिदिन बढ रही हैं । धनी से निर्धन सभी परिवारोंके त्रस्त होने का, लोगों के असहाय और पीडित होने का अनुचित लाभ उठाकर ईसाई मिशनरियों ने अभी तक यहां के १ लाख से अधिक सिंधी और अन्य समाज के हिन्दुआें का धर्मपरिवर्तन किया है । दिन-प्रतिदिन बढते जानेवाले धर्म-परिवर्तन के भस्मासूर के विरुद्ध एकत्र आकर ईसाई मिशनरियों को रोकने का संगठित निर्धार कर धर्म-परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाने का कानून बनाया जाए, ऐसी मांग उल्हासनगर में संगठित हुए हिन्दुत्वनिष्ठों के आंदोलन में की गई ।
यहां के कैंप १ स्थित गोल मैदान के भागवंती नावानी स्टेज पर २३ दिसंबर को सायं. ५ बजे धर्मपरिवर्तन के विरोध में आंदोलन किया गया । इस समय आंदोलनकर्ता हाथों में फलक पकडे थे तथा धर्मपरिवर्तन के विरोध में नारे लगाए गए । शासन को दिए जानेवाले निवेदन पर लोगों के हस्ताक्षर करवाए गए । देश के ७ राज्यों में लागू किया गया धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून महाराष्ट्र में भी लागू किया जाए ।
इस अवसर पर समिति के मुंबई प्रवक्ता उदय धुरी ने प्रतिपादित किया कि उल्हासनगर में आज बडी मात्रा में सिंधी बंधुआें का धर्म-परिवर्तन हो रहा है । इस समस्या की जड तक पहुंचने पर ध्यान में आता है कि उनमें धर्मशिक्षा का अभाव है । ईसाई मिशनरियों द्वारा लोगों के मन पर अंकित किया जाता है कि प्रार्थना करने से शांति मिलेगी । धर्मशिक्षा के अभाव तथा जिनमें धर्माभिमान नहीं है, ऐसे लोगों का धर्म-परिवर्तित करना ईसाई धर्मप्रसारकों के लिए सरल होता है । इसके लिए सभी सिंधी समाज इसके विरोध में एकत्रित हो तथा शासन पर दबाव बनाए कि देश के अन्य ७ राज्यों में लागू धर्मांतरविरोधी कानून महाराष्ट्र में भी लागू किया जाए । धर्मांतरित होनेवाले सिंधी बंधुआें को धर्मशिक्षा देकर उनका उद्बोधन करना भी आवश्यक है ।
उनके अनुसार हमें ध्यान रखना होगा कि जब एक हिन्दू धर्मांतरित होता है, तब केवल एक हिन्दू ही कम नहीं होता, अपितु एक शत्रु बढता है । –
सनातन संस्था की नयना भगत ने कहा कि स्वामी विवेकानंदजी ने हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति की महानता सात समुद्र पार पहुंचाई है, उन्होंने ही कहा है कि जब एक हिन्दू धर्मांतरित होता है, तब केवल एक हिन्दू ही कम नहीं होता, अपितु एक शत्रु बढता है । हमें इसकी गंभीरता को समझना चाहिए । जिन मुगल आक्रमणकारियों ने तलवार दिखाकर हिन्दुआें का धर्मपरिवर्तन किया, महिलाआें पर अत्याचार किए आज वे ही धर्मांध हिन्दू लडकियों और महिलाआें को झूठे प्रेमजाल में फंसाकर लव जिहाद कर रहे हैं, तो दूसरी ओर स्थान स्थान पर चर्च बनाकर अत्यंत छुपी पद्धति से हिन्दुआें का धर्मांतरण हो रहा है । आज धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दुआें का धर्मप्रेम, धर्माभिमान, धर्मतेज लुप्त हो रहा है । हिन्दुआें को नष्ट करने की यह संकटदायी आहट है । इसे नष्ट करने के लिए जागृत हिन्दुआें को संगठित होना आवश्यक है । प्रत्येक हिन्दू को धर्मशिक्षा देकर उनमें धर्मप्रेम, धर्माभिमान, धर्मतेज जागृत कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संगठित प्रयास करना काल की आवश्यकता है तथा यही एकमात्र उपाय है ।
सभा में निम्नलिखित प्रमुख प्रस्ताव पारित हुए,-
१.धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहित करनेवाली संस्थाएं, संगठन और धर्मप्रचारक खोजकर उन पर कठोर कानूनी कार्यवाही करने के लिए एक अलग विभाग बनाया जाए ।
२. मानवसेवा के नाम पर धर्मपरिवर्तन करनेवाली ईसाई संस्थाआें को निधि उपलब्ध करवानेवाली विदेशी संस्थाआें पर कार्यवाही की जाए ।
३. ईसाइयों के कॉन्वेंट विद्यालयों में ९० प्रतिशत हिन्दू विद्यार्थी पढते हैं; परंतु विद्यालय के विद्यार्थियों को कुमकुम, चूडियां, मेहंदी, रक्षाबंधन, धार्मिक उत्सव आदि भारतीय संस्कृतिनुसार आचरण करना प्रतिबंधित है तथा ईसामसीह की प्रार्थना करना अनिवार्य किया जाता है । इससे ही आगे धर्मपरिवर्तन होता है । यह रोकने के लिए धर्मपरिवर्तन प्रतिबंधक कानून बनाने की व्यवस्था की जाए ।
आज आयोजित इस सभा में सम्मिलित संगठन निम्नलिखित है
हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था, राष्ट्रीय स्वयं संघ, बजरंग दल, शिवसेना, भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, सिंधी काउन्सिल ऑफ इंडिया, जय झूलेलाल सेवा संघर्ष समिति, प्रबळ संगठन, हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन, सिंधू सत्याग्रह, विश्व सिंधी समाज संघ, ब्राह्मण सभा संघ, योग वेदांत समिति, स्वराज्य हिन्दू सेना, उल्हासनगर व्यापारी संगठन पतंजली परिवार, वंदे मातरम प्रतिष्ठान, देशसेवा जनसेवा, प्रतिष्ठान हिंदुस्थान, श्रीराम हिंदू सेने आदि संगठन सम्मिलित हुए थे ।