छत्रपति शिवाजी अस्पताल में 17 मरीजों की मौत लापरवाही या संयोग?
ठाणे महानगरपालिका द्वारा संचालित कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में आज सुबह रविवार को एक साथ 17 मरीज के मृत्यु हो जाने की घटना से उस अस्पताल के मरीजों के साथ जिले भर में चर्चा का मुख्य विषय बन गया है।
अस्पताल में अपने परिजनों का इलाज करवा रहे लोगों में भी तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। अस्पताल प्रशासन जहां इस घटना को एक सामान्य घटना बताने की कोशिश कर रहा है वही इस घटना पर राज्य के विरोधी दलों में राजनीति शुरू हो गई है
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार सुबह प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गत 24 घंटे में अस्पताल के 17 मरीजों की मौत हो गई है जिसमें 13 मैरिज आईसीयू में थे और चार जनरल वार्ड में थे। इन १७ मरीजों में अनेक 80 वर्ष के से ज्यादा उम्र के मरीज थे।
कल्याण की एक महिला जिनका 52 वर्षीय भाई की भी आज ही मृत्यु हुई थी उनके अनुसार उन्हें प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है उनके भाई को डेंगू था और उसे अंदरूनी ब्लीडिंग भी चालू थी उसकी मौत निश्चित थी आज होना महज संयोग है।
इस घटना पर कलवा मुंब्रा से विधायक जितेंद्र आव्हाड की पत्नी रुता आव्हाड कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल पहुंच गई और इस घटना को राज्य सरकार की असफलता बताते हुए अस्पताल को ताला लगा देने की मांग की।
जबकि भारतीय जनता पार्टी के विधायक संजय केलकर ने एक बयान जारी कर कहा की अस्पताल पर ठाणे जिले भर के मरीजों का बोझ है और यह घटना होना एक संयोग भी हो सकता है।
ज्ञात हो कि ठाणे महानगरपालिका द्वारा संचालित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में जिले भर के मरीज आते हैं। इस अस्पताल में मुख्य रूप से थाने, कलवा, मुंब्रा के साथ कल्याण, डोंबिवली, शाहपुर, कर्जत , वाड़ा, भिवंडी से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं।
यह लोग आर्थिक रूप से असमर्थ होने के कारण ही यहां आते हैं और यहां आने वाले ज्यादातर मरीज की हालत नाजुक रहती है। जिले भर के सरकारी अस्पताल मरीज की हालत नाजुक होने पर उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में रेफर करती है
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का एक तरह से गृह क्षेत्र होने के कारण उनका भी इस अस्पताल पर विशेष ध्यान है और पिछले दिनों ही उन्होंने इस अस्पताल के लिए अनपेक्षित राशि अस्पताल के लिए जारी की है।
ठाणे महानगरपालिका के युवा आयुक्त अभिजीत बांगर भी इस अस्पताल की देखरेख में निजी रूप से ध्यान रखते हैं और अपने पिछले 8 – 10 महीने के कार्यकाल में पूरे अस्पताल का कायाकल्प कर दिया है।
अस्पताल कर्मियों या डॉक्टरों के अस्पताल में देर से आना, अस्पताल में साफ-सफाई, मरीजों की खानपान की व्यवस्था, मरीजों की देखभाल, मरीजों से दुर्व्यवहार, अस्पताल कर्मियों में अनुशासन जैसे अनेक मुद्दे हैं जिस पर ठाणे मनपा आयुक्त ने विभिन्न नियम बना दिए हैं और इसका पालन करने का अस्पताल के कर्मचारियों एवं डॉक्टरों को सख्त आदेश है।
और इसे नहीं मानने वाले अस्पताल कर्मियों की समय-समय पर बर्खास्तगी या निलंबन की खबरें भी आती रहती है। ऐसे में एक साथ 17 मरीजों की इस अस्पताल में मृत्यु को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही कहना गलत हो सकता है।